राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर, आगरा में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या पर वैज्ञानिक और संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। यह समस्या न केवल पर्यावरण को बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिरता और जीवन की गुणवत्ता को भी गहराई से प्रभावित करती है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के.सी. जैन ने इस मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की रिपोर्टों को संदर्भित किया, जो इस दिशा में गहन विश्लेषण और समाधान प्रस्तुत करती हैं।
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट: आगरा में प्रदूषण के स्रोत
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट “आगरा शहर में वायु गुणवत्ता आकलन, प्रवृत्ति विश्लेषण, उत्सर्जन सूची और स्रोत विभाजन अध्ययन” (दिसंबर 2021) और “ताजमहल, आगरा में वायु स्रोत विभाजन” (मार्च 2019) के अनुसार, आगरा में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:
1. सड़क की धूल: पीएम-10 उत्सर्जन में 82.3% और पीएम-2.5 उत्सर्जन में 67.9% योगदान।
2. वाहन उत्सर्जन: पीएम-10 में 5.1% और पीएम-2.5 में 12.1%।
3. बायोमास जलाना: कुल पीएम-2.5 और पीएम-10 में महत्वपूर्ण योगदान।
4. कोयला और फ्लाई ऐश: ताजमहल क्षेत्र में पीएम-2.5 में 35% और पीएम-10 में 34%।
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आगरा के अधिकांश उद्योग पर्यावरण-अनुकूल ईंधन जैसे गैस और बिजली का उपयोग करते हैं, और उनका कुल वायु प्रदूषण में योगदान नगण्य है।
औद्योगिक विकास और रोजगार का महत्व
आगरा में औद्योगिक विकास और स्थिर रोजगार की आवश्यकता पर जोर देते हुए के.सी. जैन ने कहा कि शहर के युवाओं के पलायन को रोकने के लिए स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है। औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के बजाय उन्हें पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि औद्योगिक गतिविधियों और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना सतत विकास का एक प्रमुख पहलू है। नीतियों को इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए कि वे रोजगार के अवसरों को बाधित किए बिना वायु गुणवत्ता में सुधार करें।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्राथमिक उपाय
आगरा में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित प्रभावी कदम सुझाए गए हैं:
1. सड़क की धूल को नियंत्रित करना
– मिकेनिकल स्वीपिंग और वैक्यूम-सहायक सफाई तकनीकों का उपयोग।
– सड़कों की नियमित मरम्मत और रखरखाव।
– मुख्य सड़कों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण।
2. सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना
– सस्ता, प्रभावी और तेज बस और मेट्रो सेवा प्रदान करना।
– निजी वाहनों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाना और पुराने वाहनों पर प्रतिबंध।
3. ठोस कचरे और बायोमास जलाने पर प्रतिबंध
– प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का विकास।
– जनता को कचरा जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करना।
4. हरित प्रौद्योगिकी को अपनाना
– उद्योगों में स्वच्छ और ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
– ईंट निर्माण के लिए जिगजैग भट्ठी जैसी तकनीकों को अपनाना।
5. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना
– सार्वजनिक परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों का उपयोग।
– इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास।
आईआईटी रिपोर्ट के आंकड़ों का महत्व
आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान आंकड़ों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए। उदाहरण के लिए, ताजमहल क्षेत्र में प्रदूषण स्रोत विभाजन में 35% योगदान कोयला और फ्लाई ऐश से और 19% वाहन उत्सर्जन से होता है। यह आंकड़े नीतियों और उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन में मददगार हो सकते हैं।
आवश्यक कदम: समावेशी और संतुलित नीति
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर के.सी. जैन ने आगरा के लिए एक समावेशी और संतुलित रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए एकीकृत दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें निम्नलिखित पहलुओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए:
– पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक स्थिरता के बीच संतुलन।
– वैज्ञानिक डेटा के आधार पर नीतियों का निर्माण।
– स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग।
– सार्वजनिक और निजी भागीदारी के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण।
भविष्य के लिए संकल्प
के.सी. जैन ने कहा कि आगरा को एक ऐसा मॉडल शहर बनाया जा सकता है, जो अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हुए अपने निवासियों के लिए स्वच्छ और हरित वातावरण प्रदान करे। इसके लिए नीतिगत सिफारिशों का प्रभावी कार्यान्वयन और सभी हितधारकों का सहयोग अनिवार्य है।
“राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम आगरा को न केवल पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित बनाएंगे बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार और उज्ज्वल भविष्य प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे,” उन्होंने कहा।