उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले के बाह और पिनाहट क्षेत्रों में चंबल के 18 गांवों में तेंदुए का खौफ व्याप्त है। तेंदुआ 10 दिन में 29 मवेशियों को शिकार (Leopard Attack) बना चुका है। दहशतजदां ग्रामीण रात में खेतों पर जाना बंद करते हुए घरों में पहरा दे रहे हैं। सूचना पर वन विभाग की टीम ने तेंदुए को पकड़ने के लिए कॉम्बिंग की है और जाल भी लगाए हैं लेकिन तेंदुआ पकड़ में नहीं आया है जिसको देखते हुए अब ड्रोन की मदद ली जा रही है।
चंबल के गांव पालोखरा, पडुआपुरा, विप्रावली, सांवल दास का पूरा, मेदीपूरा, नांद का पूरा, टिकतपुरा, गढ़ का पुरा, मनसुखपुरा, रेहा, बरेंड़ा, बाज का पुरा, जगतूपुरा, सुखभानपुरा, परजापुरा, बड़ापुरा, करकोली, क्योरी और ऊपरीपुरा में बीते 10 दिन में तेंदुए ने 29 मवेशियों का शिकार कर लिया है। शुक्रवार को पलोखरा में कमरुद्दीन के बाड़े में तीन बकरियों को मार खाया (Leopard Attack)।
पडुआपुरा में भी मौनी बाबा आश्रम में गायों पर तेंदुए ने हमला किया। इस पर संतों ने लाठी-डंडों से तेंदुए को भगाया। बीते दिनों गांव पलोखरा के विजय की दो बकरियों, धर्मवीर की भैंस और मेदीपुरा के बीदाराम की दो बकरियों सहित अन्य पशुओं को भी तेंदुआ शिकार (Leopard Attack) बना चुका है। सोमवार को करकोली गांव में एक और बकरी को शिकार बना लिया। करकोली निवासी पप्पू के बाड़े में देर रात तेंदुआ घुस गया और एक बकरी को मार डाला। बाड़े में हलचल देख जगार हो गई और ग्रामीणों के शोरशराबा सुनकर तेंदुआ भाग गया। वन विभाग के लगाए गए पिंजड़े में भी तेंदुआ पकड़ में नहीं आ सका है। ऐसे में इसकी खोज के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
चंबल सेंक्चुअरी बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि तेंदुए जंगल में संरक्षित किए जा रहे हैं। सभंवत वहां से भटकते हुए गांव पहुँच गए होंगे। तेंदुआ अभी पकड़ में नहीं आ पाया है। ड्रोन से भी निगरानी की जा रही है।
ग्रामीणों ने आशा जताई कि जल्दी ही या तो तेंदुआ खुद ही वापस जंगल में चला जाएगा, या फिर वन विभाग उसको पकड़ कर जंगल में छोड़ देगा। उन्होंने कहा कि अभी यह भी तय नहीं है कि यह सब एक ही तेंदुए द्वारा किया जा रहा है (Leopard Attack) या एक से अधिक तेंदुए जंगल से आबादी में भटक आये हैं, क्योंकि अलग – अलग गांवों में लगभग एक ही साथ हमले होना इस ओर इशारा करता है कि तेंदुए एक से अधिक भी हो सकते हैं। अब वन विभाग द्वारा की जा रही ड्रोन और सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी के चलते जल्द ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि आखिर कितने तेंदुए आबादी में आ गए हैं।