पूर्व आगरा सांसद एवं केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में इटावा से भाजपा सांसद राम शंकर कठेरिया को आज आगरा की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने बारह वर्ष पुराने एक मामले में दो वर्ष की सज़ा सुना दी। इसके अलावा उनपर पचास हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
कठेरिया को सज़ा सुनाये जाते ही भाजपा कैम्प में हड़कंप मच गया क्योंकि दो साल की सज़ा होने का मतलब है कि अगर इस सज़ा का क्रियान्वयन नहीं रुकता है तो कठेरिया की सांसदी जा सकती है। कठेरिया के वकील हरविजय ‘भैये’ ने बताया है कि उन्होंने अदालत से इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ उच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिये समय माँगा था, जो न्यायालय द्वारा प्रदान कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जनता के हितों की लड़ाई लड़ने में सांसद कठेरिया को यह सज़ा मिली है। उन्होंने कहा कि बेहद मामूली धाराओं 147 व 323 आईपीसी में न्यायालय ने केवल हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण अधिकतम दो वर्ष की सजा सुनाई है, जिसकी अपील दाखिल की का रही है और ऐसे में कठेरिया की सांसदी को कोई ख़तरा नहीं है।
सांसद कठेरिया के ख़िलाफ़ यह मामला वर्ष 2011 में थाना हरीपर्वत में दर्ज किया गया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर निजी विद्युत वितरण कंपनी टॉरेंट पॉवर के एक अधिकारी भावेश रसिक लाल शाह के साथ उनके कार्यालय में घुसकर मारपीट और तोड़फोड़ की थी।
जानकारों का मानना है कि अगर कठेरिया की सज़ा को उच्च न्यायालय द्वारा निलंबित नहीं किया जाता है तो न सिर्फ़ उनकी संसद की सीट छिन सकती है, बल्कि वे छह साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। इसका मतलब होगा कि वे न तो संसद में विपक्ष द्वारा मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट दे पायेंगे, और न ही वे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में इटावा का प्रतिनिधित्व कर पायेंगे।