आगरा ज़िले की पिनाहट तहसील के पिढौरा के गाँव बरपुरा में आंगन में चारपाई पर माँ के साथ सो रहे सवा महीने के बच्चे को जंगली बिल्ली खींच ले गई और पास ही में एक खेत में ले जाकर बच्चे को नोंच – नोंच कर मार डाला। तलाशते हुए परिजन खेत में पहुंचे तो जंगली बिल्ली बच्चे के शव को नोंचकर कर खा रही थी। लाठी-डंडे से लोगों ने बिल्ली को भगाया लेकिन तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।
बरपुरा गाँव निवासी सुनील की पत्नी संजना सवा महीने पहले एक पुत्र आरव को जन्म दिया था। शनिवार की रात को घर के अंदर बेहद उमस और गर्मी होने के कारण संजना बेटे आरव को लेकर घर के आँगन में चारपाई पर सो गई। देर रात को एक जंगली बिल्ली घर की दीवार फाँद कर अंदर आ गई और बच्चे को मुँह में दबाकर खेत में उठा ले गई। गहरी नींद में सो रही संजना को इसकी खबर नहीं लगी। कुछ देर बाद जब आँख खुली तो बच्चे को बग़ल में न पाकर संजना ने शोर मचाया। शोर सुनकर जागे परिजनों ने घर में बच्चे को तलाशा और फिर आसपास के खेतों में टॉर्च लेकर निकल गये। घर से कुछ दूरी पर जाकर उन्होंने देखा कि एक जंगली बिल्ली खेत में कुछ नोंच-नोंच कर खा रही है। डंडों और पत्थरों से मारकर जब बिल्ली को खदेड़ा गया तो पता चला कि बिल्ली बच्चे के क्षत-विक्षत शव को खा रही थी, जिसे देखकर घर में मातम छा गया।
हालाँकि आरव के शव को पिता सुनील द्वारा रविवार सुबह ही दफ़्न कर दिया गया लेकिन यह जानकारी ज़िला मुख्यालय सोमवार तक ही आ पाई। जंगली बिल्लियों से अपरिचित शहर के निवासियों के लिए यह एक अचंभे की बात थी कि कैसे एक बिल्ली, जो कि आकर में बहुत छोटी होती है, किसी इंसान के बच्चे को उठा कर ले जा सकती है। इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करते हुए के के सिंह, डायरेक्टर, कानपुर जूलॉजिकल पार्क द्वारा बताया गया कि जंगली बिल्ली आम बिल्ली से बड़ी होती है और आम बिल्ली की ही तरह मांसभक्षी होती है। इनके अनुसार अभी तक ऐसा कोई मामला सुनने में नहीं आया है कि किसी जंगली बिल्ली ने इंसानी बच्चे को मारा हो क्योंकि मानव मांस इसकी खुराक में शामिल नहीं है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के अधिकारियों के अनुसार जंगली बिल्ली (Felis Chaus) भारत के जंगलों में पाई जाने वाली एक आम बिल्ली है जिसे रीड कैट और स्वॉम्प कैट के नाम से भी जाना जाता है। लगभग मिलता-जुलता फ़र होने के कारण इसको अक्सर तेंदुआ समझ लिया जाता है। जिसके कारण इस आमतौर पर शर्मीली क़िस्म की बिल्ली की प्रजाति को इंसानों के ख़तरा हो जाता है। जंगली बिल्लियों अधिकतर रात को बाहर निकलती हैं और चूहे व छोटे स्तनपायी जानवरों का शिकार करती हैं। इनके इंसानों पर हमले के वाक़ये बहुत कम होते हैं और आम तौर पर केवल कैमरा ट्रैप के ज़रिए देखी जाने वाली इन बिल्लियों को वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की दूसरी अनुसूची में रखा गया है।
पर्यावरण और वन्यजीव कार्यकर्ता डॉ0 देवाशीष भट्टाचार्य ने इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि जंगलों के अंधाधुंध कटान के कारण वन्यजीवों और इंसानों के बीच संघर्ष की स्थिति बन रही है। यही कारण है कि आमतौर पर इंसानों से दूरी बना कर रखने वाली जंगली बिल्ली के इंसानी बच्चे को हमला कर खा लेने जैसी दुर्लभ घटना आगरा में देखने को मिली।
डॉ० भट्टाचार्य ने माँग की कि मृत बच्चे आरव के परिवार को इस प्रकार के जंगली जानवरों द्वारा हमले में किसी इंसान की मृत्यु के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछले वर्ष 16 अक्तूबर को घोषित की गई पॉलिसी के अनुरूप 4 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जाये।