आगरा का जूता उद्योग विश्व पटल पर अहम मुक़ाम रखता है। दुनिया के हर कोने के लोग ज़्यादातर आगरा का ही बना जूता पहनते हैं क्योंकि यह लाइफस्टाइल प्रोडक्ट में शुमार किया जाता है।
लेकिन भारत सरकार ने इस पर भी बीआईएस लगाने का पूरी तरह से मन बना लिया है। यही वजह है कि आगरा के समस्त जूता व्यापारियों एवं जूता निर्माण में आने वाली समस्त सामग्री विक्रेताओं ने अपनी हड़ताल रखकर सरकार के प्रति कड़ा विरोध जताया है।
इंडिया टुडे को प्राप्त जानकारी के अनुसार जूता उद्यमियों और कंपोनेंट इंडस्ट्री से जुड़े व्यापारियों ने विगत दिवस आगरा के सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री प्रो0 एस पी सिंह बघेल के समक्ष बीआईएस का कड़ा विरोध करते हुए उन्हें एक ज्ञापन भी दिया।
इस संदर्भ में केंद्रीय मंत्री बघेल ने बताया कि आगरा के जूता उद्यमियों की इस समस्या के हल के विषय में शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से बात करके हल कराने की पूरी कोशिश करूँगा।
इसी संदर्भ में आगरा शू मैन्युफ़ैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उपेन्द्र सिंह लवली ने बताया कि बीआईएस के ज़रिए सरकार ने आगरा के जूता उद्योग को ख़त्म करने का कदम उठाया है। इसके लागू होने से जूते के कुटीर उद्योग भी बंद करने पड़ेंगे। केवल बड़ी जूता निर्माता इकाइयाँ ही बच सकेगी।
लवली ने कहा कि जूता कारोबार से आगरा में लगभग 4 लाख लोग जुड़े हैं। इन 4 लाख लोगों के परिवार में भी लाखों की संख्या में इस जूता उद्योग के भरोसे दिखाई देते हैं। वैसे अभी तक यह नियम 50 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाले कारोबारियों पर लागू होता आ रहा है। अब जनवरी 2024 से शायद सभी पर लागू करने की तैयारी चल रही है।
आगरा शू मैन्युफ़ैक्चरर्स एसोसिएशन के जितेंद्र त्रिलोकानी ने बताया कि जल्द ही एक प्रतिनिधिमण्डल दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के समक्ष अपनी समस्याएँ रखेगा।
एफ़मेक के पूर्व अध्यक्ष नज़ीर अहमद का कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने कथन “सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास” पर अमल करते हुए जूता उद्यमियों एवं उनसे जुड़े लोगों को पहले विश्वास में लेना था, तभी इस तरह के कदम उठाने हेतु सोचना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि अभी भी समय है कि प्रधानमंत्री को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को निर्देशित करना चाहिए कि इस समस्या को तुरंत हल किया जाये।