आगरा के वजीरपुरा क्षेत्र में “निष्कलंक माता का महागिरजाघर” (सेंट पीटर्स चर्च) उत्तर भारत के प्रमुख रोमन कैथोलिक गिरजाघरों में से एक है। इसका निर्माण तत्कालीन आर्चबिशप डॉ0 बोर्गी के कार्यकाल में सन 1846 में शुरू हुआ था। यह सन 1849 में बनकर तैयार हुआ था। इसका नक्शा इटली के वास्तुकला विशेषज्ञ फादर बोनावेंचर ने तैयार किया था।
आगरा के आध्यात्मिक निदेशक फादर मून ने बताया है कि डॉ0 बोर्गी के कार्यकाल में ही सेंट पेटर्स कॉलेज, सेंट पैट्रिक्स जूनियर कॉलेज और अन्य प्रमुख गिरजाघरों एवं कॉलेजों का निर्माण करवाया गया था। हालांकि चर्च की मीनार का निर्माण पूर्ण होने से पनले ही वास्तुविद फादर बोनावेंचर का निधन हो गया था जिसके बाद दूसरे वास्तुविद ने इसे पूरा करवाया।
1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में चर्च को बड़ी क्षति पहुंचे गयी। तब आगरा के ‘फिलॉस’ परिवार ने मरम्मत के लिए आर्थिक मदद की थी। सन 1999 में तत्कालीन आर्चबिशप डॉ0 जेंटिली ने चर्च के भीतर संगमरमर पत्थर से विशाल वेदी बनवाई। इस चर्च में वर्तमान में दो हजार मसीही विश्वासी आते हैं। यहाँ के पुरोहित फादर इग्नेशियस मिरांडा पूजा पाठ कराते हैं। चर्च सीमा में 8 स्कूल हैं। दो कन्या छात्रावास तथा दिव्यांग बच्चों के लिए भी परिसर में स्कूल है।
क्रिसमस के नजदीक आते ही आगरा के गिरजाघरों और ईसाई समाज के घरों में “यीशु आया – जगत का तारणहार” जैसे बधाई गीत गूंजने लगे हैं और गिरजाघरों में चरनी की झांकियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
आगरा के आध्यात्मिक निदेशक फादर मून ने बताया है कि प्रभु यीशु का जन्म 24 दिसंबर की रात 12 बजे होगा। उनके जन्म की बधाई गायन का सिलसिला 5 दिन पूर्व शुरू हो जाता है। इसके अलावा प्रभु यीशु मसीह के उपदेशों को भी सुनाया जाता है।
इस अवसर पर आगरा छावनी के कैथेड्रल चर्च में कैरोल सिंगिंग का आयोजन भी हुआ। सेंट पीटर्स चर्च के मुख्य पुरोहित फादर इग्नेशियस मिरांडा ने बताया कि 25 दिसंबर को होने वाले प्रभु यीशु मसीह के आगमन को लेकर मसीही समाज में खासा उत्साह है।
अर्जुन नगर स्थित चर्च के डोमिनिक नाडर ने कहा कि 25 दिसम्बर को ख़ुशी का त्यौहार मनाया जाता है। प्रभु यीशु के जन्म को ख़ुशी के साथ मनाया जाता जाता है। प्रार्थना के बाद घूमने का प्लान बनता है। इसी सन्दर्भ में एक ईसाई युवती का कहना था कि हमने क्रिसमस की पूरी तैयारियां कर रखी हैं। इस बार की प्रार्थना सभा में अलग-अलग ड्रेसेस पहन कर जाने का प्लान है। कोरोना महामारी के हलके पड़ने के बाद इस बार इस त्यौहार में उत्साह बढ़ा है। केक सेरेमनी के बाद दोस्तों के साथ लॉन्ग ड्राइव का भी प्लान है।
आगरा की लॉ स्टूडेंट विकीर्णा ने इस अवसर पर बनाये एक ‘बुक ट्री’ की तस्वीर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर डालते हुए कहा कि इस अवसर पर हमें याद रखना चाहिए कि क्रिसमस केवल एक ईसाई त्यौहार नहीं है, बल्कि यह अब देश के हर वर्ग और सम्प्रदाय द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार बन चुका है। क्रिसमस ट्री कैसे सजाया जाए, इसका तरीका सबके लिए अलग अलग होता है और अधिकतर यह उनकी निजी प्रैफरेंसेज को दर्शाता है। चूंकि मुझे किताबें पढ़ना और उनकी समीक्षा करना पसंद है, इसलिए मैंने एक बुक ट्री बना कर क्रिसमस मनाना ठीक समझा।
इस पवित्र त्यौहार के सन्दर्भ में सामजिक कार्यकर्ता समीर ने बताया कि सन 2020 और 2021 का समय बहुत ही कठिनाइयों भरा रहा है क्योंकि इस बीच कोरोना महामारी की चपेट में केवल आगरा के ही नहीं बल्कि देश भर के लोहों में भय व्याप्त हो गया था। इस बार 2021 के आखिरी समय में थोड़ी राहत महसूस हुई है इसलिए 25 दिसंबर को क्रिसमस और न्यू ईयर का कार्यक्रम बहुत ही जोश के साथ मनाया जा रहा है। समीर ने इस पवित्र त्यौहार पर कोरोना गाइडलाइन्स का पालन करने की अपील करते हुए सांप्रदायिक एकता और भाईचारा कायम रखने की बात भी कही है।
आगरा के जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह के आदेशानुसार 25 दिसंबर और 31 दिसंबर के समारोह के आयोजन के लिए जिला प्रशासन की अनुमति अनिवार्य कर दी गई है। अब होटलों, रेस्टोरेंट, डिस्को – क्लब और रूफ टॉप कैफ़े आदि में सामूहिक गतिविधि एवं समारोह के लिए पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होगा। बिना अनुमति आयोजन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी। इस आदेश के पालन को सुनिश्चित करने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है। सूत्रों के अनुसार इस आदेश के बाद होटल व्यवसाइयों में खासी निराशा छा गई है क्योंकि क्रिसमस और न्यू ईयर की पार्टियों से शहर के होटलों और बड़े रेस्टोरेंटों की अच्छी कमाई होती है जिसका इन्हें साल भर इन्तजार रहता है। लेकिन सामजिक कार्यकर्त्ता विजय उपाध्याय के अनुसार ऐसे ही भीड़ – भाड़ वाले आयोजन इस समय कोरोना फैलने का कारण बन सकते हैं जिससे फिलहाल बचना आवश्यक है। इसलिए इस वर्ष और सावधान रहकर घर में ही त्यौहार मनाना ठीक रहेगा।