डॉ0 भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लीक से हट कर बोलते हुए विश्वविद्यालय में लगभग 5 हजार फर्जी डिग्रियों के सम्बन्ध में विश्वविद्यालय के समस्त स्टाफ को फटकार लगाते हुए कहा कि इस फर्जी डिग्रियों का प्रकरण उच्च न्यायालय तक पहुँच गया था। इसलिए अब प्रण लें कि भविष्य में एक भी डिग्री फर्जी नहीं बननी चाहिए। चार साल से इस विश्वविद्यालय में हजारों डिग्रियां लंबित हैं।
जब राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने इस विश्वविद्यालय के 86वें दीक्षांत समारोह में इस तरह की फटकार लगाते हुए अपनी बात कही तो पूरे पंडाल में सन्नाटा छा गया। राज्यपाल ने शिक्षकों की पदोन्नति में बरती गई अनियमितताओं पर भी सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए कहा कि जब मेरे सामने 300 फाइलें इस तरह की आईं तब मैं उनको देख कर आश्चर्यचकित रह गई। विश्वविद्यालय एक्ट में स्थापित नियमों की अवहेलना करते हुए अनियमितताएं बरती गयीं। फाइल पर जिस व्यक्ति के हस्ताक्षर होंगे, वही जवाबदेह होगा।
इस बार के दीक्षांत समारोह में 60% पदक छात्राओं ने प्राप्त किये हैं, अर्थात 109 में से 74 पदक छात्राओं को और 35 पदक छात्रों को मिले। यदि स्वर्ण पदक की बात करें तो 95 स्वर्ण पदकों में से 64 पदक छात्राओं को और 31 पदक छात्रों को मिले।
प्राप्त जानकारी के अनुसार यह शैक्षणिक सत्र 2019-20 का दीक्षांत समारोह था जिसमें कुल 104873 छात्र / छात्राओं को डिग्रियां प्रदान की गयीं। इसमें छात्रों की संख्या 63106 और छात्राओं की संख्या 41767 थी।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विश्वविद्यालय स्टाफ से कहा कि 5 गांव गोद लें और महिलाओं को सशक्त करने हेतु कदम उठाएं तथा सभागार में महिला वर्ग को बुलाकर उनकी बात सुनें और देखें कि वह क्या बदलाव चाहती हैं। राज्यपाल ने वलसाड जिले की उन महिलाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि उस गाँव की महिलाओं ने लिज्जत पापड़ का काम करते हुए लगभग 80 हजार महिलाओं का उत्थान कराया, जबकि 8 महिलाएं ही इस काम से जुड़ी थीं। आज गाँव की महिलाएं ऑनलाइन कारोबार में भी लगी दिखाई दे रही हैं।
राज्यपाल ने कार्यवाहक कुलपति आलोक कुमार राय को आदेश दिए कि सरयू नहर प्रोजेक्ट, श्री राम मंदिर, काशी कॉरिडोर जैसे कार्य छात्रों को भी दिखाएँ।
इसपर टिप्पणी करते हुए हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने कहा कि राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में अनियमितताएं आने की बात तो कही लेकिन इसपर कोई कार्यवाही न कर केवल फटकार से ही काम चला लिया। इतने समय से विश्वविद्यालय एक कार्यवाहक कुलपति के सहारे चलाया जा रहा है। पूर्णकालिक कुलपति नियुक्त किये जाने के सम्बन्ध में कोई ठोस कदम न उठा कर कार्यवाहक कुलपति को ही अनौपचारिक रूप से नियमों के विपरीत सभी शक्तियां प्रदान कर दी गयी हैं। विश्वविद्यालय में अनियमितताओं की बात करने से पहले राज्यपाल को यहाँ एक नियमित कुलपति नियुक्त करना चाहिए ताकि विश्वविद्यालय का प्रशासन सुचारु ढंग से चल सके।