उत्तर प्रदेश का आगरा शहर पिछले कई वर्षों से देश के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल है। सर्दियों में अक्सर यहां प्रदूषण का सूचकांक (AQI) 300 का आंकड़ा पार कर जाता है। फिलहाल भी आगरा का प्रदूषण पिछले तीन दिन से लगातार 170 का आंकड़ा पार कर रहा है जिसके कारण लोगों को आँखों में जलन, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और दमे के लक्षण उभर रहे हैं।
इसको देखते हुए ताज नगरी में दिवाली के त्यौहार पर पटाखे बेचने और चलाने पर जिला प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले कई वर्षों से शहर भर में 27 से अधिक पटाखा बाजार लगते थे जो इस वर्ष नहीं लगेंगे। इनमें कोठी मीना बाजार और जीआईसी में लगने वाले बड़े पटाखा बाजार भी शामिल हैं।
पटाखों की बिक्री पर आगरा में यह प्रतिबंध लगातार दूसरे वर्ष लगाया जा रहा है। पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय द्वारा जिन शहरों के प्रदूषण सूचकांक (AQI) 300 या उससे अधिक थे, उनमें पटाखों की बिक्री और चलने पर रोक लगा दी गई थी। इसके चलते आगरा में भी पटाखे प्रतिबंधित कर दिए गए थे, हालाकिं अवैध रूप से पटाखों की धड़ल्ले से बिक्री हुई थी और दिवाली की रात पटाखे जमकर चलाये भी गए थे।
इस वर्ष प्रशासन इस प्रतिबन्ध को सख्ती से लागू करने के मूड में है। अपर जिलाधिकारी (नगर) डॉ0 प्रभाकांत अवस्थी के अनुसार पटाखे की अवैध बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। इसके लिए हर थाना क्षेत्र में स्थानीय पुलिस को जिम्मेदारी दी गई है कि सघन चेकिंग करे। पुलिस टीमों की मदद के लिए एक क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट भी हर टीम के साथ मौजूद रहेंगे।
एक पटाखा व्यापारी ने बताया कि चूंकि दिल्ली सरकार ने काफी पहले से पटाखों की बिक्री पर रोक लगाए जाने के संकेत देने शुरू कर दिए थे, और पिछले वर्ष आगरा में भी पटाखों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था, तो इस वर्ष कम ही व्यापारियों ने पटाखों की खेप मंगाने का जोखिम उठाया है। आम तौर पर शादियों आदि के लिए पटाखों का जो सारे साल स्टॉक रहता है, उसी को थोड़ा बढ़ा लिया था, ताकि अगर पटाखों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगता है तो पिछले वर्ष की तरह ज्यादा नुक़सान नहीं हो।
इस वर्ष दिवाली नवम्बर के प्रथम सप्ताह में पड़ रही है। पिछले वर्ष दिवाली से सिर्फ दो दिन पहले अचानक पटाखों पर प्रतिबन्ध लग जाने से आगरा के पटाखा व्यापारियों का करोड़ों का नुक्सान हुआ था। पटाखा बाजारों में दुकानें आवंटित तक हो गई थीं, जिन्हें आनन – फानन में प्रशासन द्वारा निरस्त कर आवंटियों को उनकी जमानत राशि वापस कर दी गई थी। आम तौर पर हर दिवाली पर शहर में पटाखों का 50 – 70 करोड़ तक का कारोबार होता है। दक्षिण भारत से आने वाले पटाखों के अलावा स्थानीय स्तर पर भी गाँवों में पटाखों का निर्माण होता है, जो चोरी – छिपे बनाये और बेचे जाते हैं।
पटाखों के कारण होने वाले हादसे भी अक्सर इन्हीं अवैध रूप से निर्मित और भंडारित पटाखों के कारण ही होते हैं। ताजनगरी में हर वर्ष एक-न-एक दिल दहलाने वाला हादसा पटाखों के कारण होता है जिसमें संपत्ति को नुक्सान तो होता है है, साथ ही जनहानि भी होती है। पटाखों पर प्रतिबन्ध लगने से ऐसे हादसों में कमी आने की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण कम होने से दिवाली के आस – पास बढ़ने वाली सांस की बीमारियों में भी कमी आएगी।