विगत दिवस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। जो मंत्री बनने की आस लगाए बैठे थे, दसियों हज़ार वोटों के अंतर से जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, वह निराश दिखाई दिए, और जिस व्यक्ति ने जीवन में कभी चुनाव नहीं लड़ा, वो कुछ माह पूर्व विधानपरिषद सदस्य बना और 26 सितम्बर को उसे उत्तर प्रदेश सरकार का राज्यमंत्री बना दिया गया। उस खुशनसीब व्यक्ति का नाम है धर्मवीर प्रजापति और वो आगरा के खंदौली गांव के निवासी हैं।
एक वरिष्ठ सपा नेता ने बताया कि धर्मवीर प्रजापति की उत्तर प्रदेश चुनाव से 6 महीने पहले मंत्रिमंडल में नियुक्ति से साफ़ पता चल रहा है कि भाजपा हाई कमान पिछड़ों को साधने के लिए इस तरह तोहफे लुटा रही है, हालांकि पिछड़ा वर्ग अब पूरी तरह सपा के साथ है और इस तरह के करतबों के बाद भी भाजपा को पिछड़ों के वोट का कितना प्रतिशत मिलेगा, वो चुनाव के बाद साफ़ हो जायेगा। फिलहाल यह स्पष्ट है कि वर्तमान में मोदी और योगी की आगरा पर विशेष निगाह है और प्रदेश मंत्रिमंडल में इस समय आगरा के तीन राज्यमंत्री हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार धर्मवीर भाजपा संगठन से वैसे तो लम्बे समय से जुड़े हुए हैं। भाजपा ने उन्हें सन 2002 में भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का प्रदेश महामंत्री बनाया था, इसके बाद 2013 में भाजपा मुख्यमंत्री योगी ने ‘प्रदेश माटी कला बोर्ड’ का गठन करने के बाद धर्मवीर को बोर्ड का चेयरमैन बना दिया। 2021 के जनवरी माह में इन्हें विधानपरिषद सदस्य मनोनीत किया गया और अब 26 सितम्बर को मंत्री पद दे दिया गया।
भाजपा के एक ब्राह्मण नेता ने निराश स्वर में कहा कि पार्टी के निर्देशानुसार पूर्व में फतेहपुर सीकरी के विधायक चौ0 उदयभान सिंह को भी पिछड़े वर्ग के कोटे से ही राज्यमंत्री बनाया हुआ है। बताया जाता है कि धर्मवीर सिंह ने अयोध्या में आयोजित “दीपोत्सव” प्रोग्राम के लिए बड़े स्तर पर डिज़ाइनर दीपकों की व्यवस्थ कराई थी। आगरा, फ़िरोज़ाबाद, एटा, कन्नौज तक से अयोध्या को सजाने एवं सुन्दर दिखाई देने के लिए दीपकों की व्यवस्था कराई थी। तभी से धर्मवीर भाजपा हाई कमान के “ख़ास” बन गए थे।
ताजनगरी आगरा वैसे तो हर सियासी पार्टी की नजर में “लकी” कही जाती है। सपा, बसपा और कांग्रेस अभी तक इसी नगरी से अपना पहला चुनावी बिगुल बजाती आ रही थीं, लेकिन अब भाजपा की नजर में भी यह ताज नगरी पूरी तरह “ख़ास” बन गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता समीर का कहना भी उचित लगा कि जिस तरह भाजपा संगठन ने आगरा को अपने लिए “लकी” समझा है उसी तरह आगरा की जनता ने भी भाजपा संगठन को आगरा नगर निगम में सम्पूर्ण बहुमत सभी 9 विधायक, तीन सांसद और एक मेयर को विजयी बनाकर भाजपा संगठन का मान / सम्मान भी बढ़ाया है।
शायद यही वजह है कि मोदी सरकार ने आगरा के सांसद एस0 पी0 बघेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में लेकर विधि एवं न्याय राज्यमंत्री का पद दिया। इसी तरह फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चहार को भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद दिया हुआ है तथा पूर्व में उत्तर प्रदेश के मंत्री रहे हरद्वार दुबे को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया है।
अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी की बात करें तो उन्होंने भी दलित सामाज से चुनकर विधायक बने डॉ0 जी एस धर्मेश को, पिछड़ा वर्ग से आये चौ0 उदयभान सिंह को, तथा इसी वर्ग के डॉ0 धर्मवीर सिंह को राज्यमंत्री का पद दिया हुआ है। इसके साथ ही पूर्व मंत्री रहे दलित समाज के ही डॉ0 रामबाबू हरित को प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन बनाकर मंत्री पद दिया हुआ है। उसी तरह मुस्लिम समाज को लुभाने के लिए अशफ़ाक़ सैफ़ी को उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया हुआ है।
मोदी सरकार ने आगरा की ही निवासी बेबीरानी मौर्य को उत्तराखंड की राज्यपाल बनाकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। बेबीरानी तीन साल तक इस पद पर विराजमान रहने के बाद अचानक इस्तीफ़ा देकर पुनः आगरा आ गईं, लेकिन भाजपा हाई कमान की नज़र पूरी तरह बेबीरानी पर लगी है। देखना यह है कि भाजपा संगठन इन्हें कहाँ समायोजित करता है।
अगर सम्पूर्ण योगी मंत्रिमंडल पर नजर दौड़ाई जाए तो दिखाई देगा कि मोदी के स्लोगन “सबका साथ – सबका विकास – सबका विश्वास” पर पूरी तरह अमल हुआ है। सामाजिक समरसता को ध्यान में रखते हुए यह सन्देश भी देने का प्रयास किया गया है कि भाजपा की कोशिश समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर देकर उसे देश / प्रदेश के विकास में हिस्सेदारी देने की है।
विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पूर्व हुए इस मंत्रिमंडल विस्तार पर कटाक्ष करते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का कहना था कि इस तरह की चालों से भाजपा को कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है, क्योंकि चेहरे बदलने की कवायद के बाद भी सरकार तो भाजपा की अब नहीं बन सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता भाजपा की सरकार की अकर्मण्यता से तंग आ गई है और इस सरकार को सत्ता से बेदखल करने का मन बना चुकी है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों में अब उत्तर प्रदेश की सत्ता पुनः समाजवादी पार्टी के पास ही आएगी और तब प्रदेश का असली विकास होगा।