इस्लामी स्कॉलर मौलाना कलीम को धर्मांतरण एवं विदेशी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार करने पर भाजपा विरोधी पार्टियां एकमत होकर उनको बिना शर्त छोड़ने के मुद्दे को उठाने पर उतारू दिखाई दे रही हैं।
इसका मुख्य कारण यह दिखाई दे रहा है कि निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को मुस्लिम वर्ग के वोट अपने पक्ष में करने के लिए इस तरह की व्यूह रचना इन दलों के लिए जरूरी होती जा रही है। मौलाना पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाने – माने इस्लामी स्कॉलर माने जाते हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम वोट निर्णायक स्थिति में हैं, तो जो भी पार्टी मुस्लिम वोट पर अपना एकाधिकार जमा पायेगी, वही पश्चिमी उत्तर प्रदेश भी अपने कब्जे में ले सकेगी।
उत्तर प्रदेश के ADG (Law & Order) प्रशांत कुमार के अनुसार मौलाना कलीम शरीयत के मुताबिक़ व्यवस्था लागू करने के उद्देश्य से बड़े स्तर पर धर्मान्तरण का नेटवर्क चला रहे थे और कई मदरसों की फंडिंग भी उस धनराशि से कर रहे थे, जो हवाला के जरिये विदेश से मिल रही थी। ATS का दावा है कि मौलाना के ट्रस्ट में एकमुश्त 1.50 करोड़ रुपये की रकम पहुंची थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अभी तक अवैध तरीके से धर्मान्तरण करने के मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, इसमें हरियाणा, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग भी पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं। इनके नाम हैं उमर गौतम, काजी जहांगीर, राहुल भोला, इरफ़ान शेख, मन्नू यादव, प्रसाद उर्फ़ एडम, डॉक्टर कैंसर, अरसलान, सलाहुद्दीन, जैनुद्दीन और शेख।
इस प्रकरण को लेकर एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए भाजपा विरोधी सियासी पार्टियों ने एक मंच पर आकर मौलाना को पुलिस से मुक्त कराने के लिए प्रदेश सरकार को बड़े आंदोलन की चेतावनी दे दी है। इस सम्बन्ध में कांग्रेस हाई कमान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हर जिले के अपने कार्यकर्ताओं को अलर्ट कर दिया है कि मौलाना को छुड़ाने के लिए आंदोलन करने को पूरी तरह तैयार रहे।
इसी तरह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव और मायावती ने भी अपने कार्यकर्ताओं को भाजपा के खिलाफ सड़कों पर उतर कर मौलाना को छुड़ाने का ऐलान करने को कह दिया है। रालोद चीफ जयंत चौधरी भी किसाओं और अपने समर्थकों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच कर भाजपा के खिलाफ मौलाना को मुक्त कराने हेतु मैदान में उतरने के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए देखे जा सकते हैं।
सामजिक कार्यकर्ता आमिर का इस मुद्दे पर कहना था कि सियासी पार्टियां इस तरह के प्रकरणों एवं घोटालों आदि मामलों को सियासी चश्मा उतार कर देखें तो बेहतर होगा। हर प्रकरण को चुनाव से नहीं जोड़ना चाहिए। जमात – ए – उलेमा – ए – हिन्द ने मौलाना को न्याय दिलाने हेतु कोर्ट में जाने का आह्वान किया है, इस लिए अब सियासी पार्टियों को चाहिए कि कोर्ट के न्याय का इन्तजार करें। गैर – जरूरी आंदोलन आदि से फिजां ख़राब होती है।