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arshad-madani co-educationवर्तमान में जहाँ देश के सैनिक स्कूलों एवं अन्य कॉलेजों में बेटियों / बहनों के लिए दरवाजे खुल गए हैं तो कुछ मजहबी संगठनों को उनके “co-education” स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने पर ऐतराज उठने लगा है। ऐसा प्रतीत होता है कि वह देश में तालिबानी तौर तरीकों की पैरोकारी कर रहे हैं।

जमीयत उलेमा – ए – हिन्द (JUH) के चीफ अरशद मदनी की अपील में भी कुछ इसी तरह की सोच दिखाई दे रही है। अरशद मदनी ने सभी से अपनी बेटियों/बहनों को “co-education” स्कूलों में नहीं भेजने की अपील की है। मदनी ने मुस्लिमों के साथ ही सभी गैर मुस्लिमों से भी कहा है कि बेटियों को अश्लीलता से बचाने के लिए “co-education” स्कूलों में नहीं भेजें।

मदनी ने केवल अपनी बहन/बेटियों को गर्ल्स स्कूल / कॉलेजों में ही भेजने की अपील अभिभावकों से की है। अरशद मदनी ने यह अपील ऐसे मौके पर की है जब तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में “co-education” पर पाबंदी लगा दी है तथा यह फरमान भी जारी किया है कि पुरुष लड़कियों या महिलाओं को न पढ़ाएँ। लड़के और लड़कियों को एक साथ बैठ का पढ़ने की इजाजत नहीं होगी। यह कदम प्राइमरी स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक लागू होगा।

जूह की कार्यसमिति की बैठक के बाद मदनी ने मीडिया से कहा कि अनैतिकता और अश्लीलता किसी धर्म की शिक्षा नहीँ है। दुनिया के हर धर्म में इसकी नींद की गई है क्योंकि यही चीजें हैं जो देश में दुर्व्यवहार फैलाती हैं। इसलिए हम अपने गैर मुस्लिम भाइयों से भी कहेंगे कि अपनी बेटियों को अनैतिकता और दुर्व्यवहार से दूर रखने के लिए यह शिक्षा देने से परहेज करें और उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित करें।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्यसामिति की बैठक के दौरान बालक/बालिकाओं के लिए स्कूल/कॉलेजों की स्थापना विशेष रूप से लड़कियों के लिए धार्मिक वातावरण में अलग-अलग शिक्षण संस्थान और समाज में सुधार के तरीकों पर विस्तार से चर्चा भी हुई।

बताया जाता है कि अरशद मदनी ने कहा कि आज की स्थिति में लोगों को अच्छे मदरसों और उच्च धर्मनिरपेक्ष शिक्षण संस्थानों की जरूरत है, जिसमें बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा सकें। मुसलमानों को अपने बच्चों को किसी भी कीमत पर उच्च शिक्षा से लैस करना चाहिए। हमें ऐसे स्कूलों/कॉलेजों की सख्त जारूरत है जहाँ हमारे बच्चे खासकर लाड़कियाँ बिना किसी बाधा या भेदभाव के उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें।

अरशद मदनी की इस सोच पर कटाक्ष करते हुए आमिर कुरैशी का कहना था कि वर्तमान में लड़कियां तेजी के साथ आगे बढ़ते हुए आईएएस / आईपीएस, आर्मी, एयरफोर्स तथा अन्य फील्ड में तेजी से आगे बढ़ रही हैं और देश का नाम रोशन कर रही हैं। इनमें मुस्लिम लड़कियां भी हैं। हाँ, माँ-बाप को बेटियों पर गहरी और तेज नजर रखना बहुत जरूरी है। उन्हें देखना होगा कि हमारी बेटी या बहन शिक्षा के अतिरिक्त किसी अन्य गलत रास्ते पर तो नहीं जा रही है। आज का कोई युवक बिना पढ़ी-लिखी लड़की से शादी नहीं करना चाहता है। उच्च शिक्षा के साथ-साथ लड़कियों को धार्मिक शिक्षा भी दिलानी बहुत जरूरी है जिस से वह जीवन की अच्छाई/बुराई से भी वाकिफ हों।

S Qureshi