जैसे जैसे 2022 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे वैसे प्रदेश की सियासत गरम होती जा रही है, क्योंकि इस सियासत में धर्म का तड़का लगता जा रहा है।
इसलिए, जब आगरा की शाही जामा मस्जिद में पहली बार उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक़ सैफी ने 15 अगस्त को झंडारोहण करते हुए राष्ट्रगान गाया और भारत माता की जय के नारे लगाए, तो बवाल खड़ा हो गया।
आगरा के शहर मुफ़्ती खुबेब रूमी ने मस्जिद में झंडारोहण का विरोध करते हुए तथाकथित रूप से अपशब्द कहे और उसका ऑडियो वायरल हो गया जिसके बाद हिन्दू संगठन खुल कर मुफ़्ती के विरोध में आगरा की सड़कों पर उतर आए।
असलम सैफी ने जहाँ मुफ़्ती के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए उसे वापस लेने और माफी मांगने की मांग की, वहीं दूसरी ओर ऑल इंडिया जमीतउल कुरेश के हाजी जमीलउद्दीन कुरेशी ने मुफ़्ती के बयान का समर्थन कर मुस्लिम समुदाय को दो हिस्सों में बाँट दिया।
मंगलवार को अखिल भारतीय हिन्दू महासभा और राष्ट्रीय हिन्दू परिषद भारत आदि हिन्दू संगठनों ने कलेक्ट्रेट और थाना मंटोला को घेर लिया और मुफ़्ती रूमी की गिरफ़्तारी की माँग करते हुए उनके खिलाफ तहरीर दे दी। ऐसी ही एक तहरीर इस्लामिया लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरेशी ने भी दी जिसके आधार पर मुफ़्ती रूमी और उनके बेटे हम्मदुल कुद्दूस रूमी को नामजद करते हुए थाना मंटोला में राष्ट्रीय ध्वज अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 3 व धारा 153 बी, 505, 508 भा.दं.सं. के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
राष्ट्रीय हिन्दू परिषद के गोविंद पाराशर ने कहा है कि मुफ़्ती रूमी के साथ-साथ हाजी जमीलउद्दीन को भी गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि मुफ़्ती को यदि जल्दी ही जेल नहीं भेजा गया तो हिंदुवादी संगठन सड़कों पर उतारने पर मजबूर होंगे। संगठन किसी भी सूरत में तिरंगे का अपमान नहीं होने देगा।