एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘हर घर नल, हर घर जल’ योजना पूरे देश में जल संकट दूर करने के लिए चलाई जा रही है, वहीं दूसरी ओर चंबल के पानी को अन्यत्र ले जाने की खबरों से बाह क्षेत्र के किसानों और आम जनता में गहरी चिंता व्याप्त हो गई है।
इस मुद्दे पर प्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने कहा है कि यदि बाह क्षेत्र के लिए निर्धारित चंबल का पानी अन्यत्र मोड़ा गया, तो जनता जल संकट से जूझेगी और किसानों की फसलें बर्बाद हो जाएंगी। उन्होंने साफ कहा कि किसी भी हालत में ‘राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना’ को बंद नहीं होने दिया जाएगा।
1979 से संघर्ष, 1997 में मिली सफलता
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि 1979 में उनके पिता राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह ने जब प्रदेश में जनता पार्टी सरकार में मंत्री रहते हुए इस परियोजना को स्वीकृति दिलाई, तब विपक्ष की सरकार ने इसे रोक दिया। 1997 में जब वे मंत्री बने, तो उन्होंने इस परियोजना को फिर से स्वीकृत कराया। तत्कालीन सिंचाई मंत्री ओमप्रकाश जी ने इसमें रुचि ली और सख्त निर्देश देकर इसे पूरा करवाया। तब एक चीफ इंजीनियर को लापरवाही के कारण निलंबित तक कर दिया गया था। मात्र 18 महीनों में यह परियोजना शुरू हो गई, जिससे बाह क्षेत्र को राहत मिली।
लेकिन अब इस पानी की धार को अन्यत्र मोड़ने की साजिशें हो रही हैं, जिससे नेशनल चंबल सेंचुरी और बाह क्षेत्र दोनों संकट में आ जाएंगे। राजा अरिदमन सिंह ने जोर देकर कहा कि चंबल में उत्तर प्रदेश का 10% जल हिस्सा है, जिसमें से केवल 450 क्यूसेक पानी बाह क्षेत्र के लिए सुरक्षित किया गया है। अगर इसे अन्यत्र भेजा गया, तो पूरा बाह क्षेत्र पानी के लिए तरस जाएगा।
चंबल सेंचुरी पर मंडराता संकट
चंबल सेंचुरी में पहले से ही जल स्तर कम होता जा रहा है। लिफ्ट इरीगेशन प्रणाली के जरिए इस पानी का उपयोग बाह क्षेत्र में सिंचाई और पेयजल के लिए किया जाता है। यदि यह योजना बंद हो गई, तो भूगर्भ जल स्तर गिर जाएगा और किसान त्रस्त हो जाएंगे। सेंट्रल वॉटर कमीशन में भी यह मुद्दा उठाया जाएगा ताकि जल साझेदारी के अधिकारों की रक्षा हो सके।
बरसात में लिफ्ट इरीगेशन संभव नहीं
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि बरसात के मौसम में चंबल का पानी मटमैला होने से पंप खराब हो जाते हैं और गर्मियों में जल स्तर इतना नीचे चला जाता है कि लिफ्ट इरीगेशन प्रणाली काम नहीं कर पाती। अप्रैल महीने में जल स्तर 110-111 मीटर तक गिर जाता है और 110.85 मीटर से नीचे जाने पर इसे संचालित करना तकनीकी रूप से संभव नहीं होता। ऐसे में यदि अतिरिक्त जल निकासी की गई, तो पूरा इलाका सूखे की चपेट में आ जाएगा।
दो बार के सांसद की जिम्मेदारी
फतेहपुर सीकरी से लगातार दो बार सांसद बने राजकुमार चाहर से भी राजा अरिदमन सिंह ने अपील की कि वे इस परियोजना की रक्षा करें। यदि चंबल का पानी अन्यत्र चला गया, तो न केवल सेंचुरी बल्कि बाह की जनता भी जल संकट में फंस जाएगी।
तालाबों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास जारी
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि वे पिछले 5-6 वर्षों से आगरा क्षेत्र में 2825 तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए 13वें, 14वें और 15वें वित्त आयोग के साथ-साथ मनरेगा योजनाओं का भी उपयोग किया गया है। उन्होंने सरकार द्वारा बनाए जा रहे ‘अमृत सरोवर’ कार्यक्रम की भी सराहना की।
बाह क्षेत्र के नागरिकों और किसानों में इस मुद्दे को लेकर आक्रोश है। अगर चंबल का पानी अन्यत्र भेजा गया, तो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन से इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर क्या कदम उठाता है।