कभी ऐसा समय था जब लोग सुबह उठते ही अख़बार का इंतज़ार करते थे। वे ख़बरों की भूख शांत करने के लिए हर सुबह उसे पढ़ते थे। लेकिन समय बदला और धीरे-धीरे सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अपनी जगह बना ली। आज समाचार प्राप्त करने के तरीकों में विविधता आ गई है, लेकिन ग्रासरूट्स पत्रकारिता की अहमियत अब भी अद्वितीय है।

फिर भी, ज़मीन से जुड़ी ख़बरें जुटाने वाले पत्रकारों को जो जोखिम उठाने पड़ते हैं, उनकी सराहना अक्सर नहीं होती। उन पत्रकारों की कड़ी मेहनत को भूलकर केवल समाचार संस्थान की प्रसिद्धि को तवज्जो दी जाती है।

एक साहसी पत्रकार की कहानी

हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में स्वतंत्र पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या इस कठोर वास्तविकता की तस्दीक करती है। उन्होंने माओवादी प्रभावित क्षेत्रों से भ्रष्टाचार और दुराचार को उजागर करने का साहस दिखाया था। लेकिन इस साहस की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

हिंदुस्तानी बिरादरी के वाइस चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार विशाल शर्मा ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मुकेश न केवल पत्रकार थे, बल्कि हाशिए पर मौजूद लोगों की आवाज़ भी थे। उनकी हत्या यह दर्शाती है कि ऐसे पत्रकार जो भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े होते हैं, उन्हें जानलेवा खतरों का सामना करना पड़ता है।”

मुकेश की कहानी अकेली नहीं है। 1988 में उत्तराखंड के युवा पत्रकार उमेश डोभाल की भी भ्रष्टाचारियों ने हत्या कर दी थी। इस तरह की घटनाएं भारत में बार-बार होती हैं, जिसके कारण प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत की स्थिति लगातार गिर रही है।

पत्रकारिता पर बढ़ता खतरा

भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के अध्यक्ष समी आगाई ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मीडियाकर्मियों पर हमलों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। हालांकि प्रेस संगठन और सुरक्षा एजेंसियां इस समस्या को गंभीरता से लेने में असफल दिखती हैं।

स्वतंत्र पत्रकार समीर ने बताया, “ग्रासरूट्स पत्रकारिता जोखिम भरी होती है। मुकेश जैसे पत्रकार, जो सच की खोज में लगे रहते हैं, अक्सर शक्तिशाली वर्गों के निशाने पर आ जाते हैं। ऐसे पत्रकारों को न तो पर्याप्त वेतन मिलता है और न ही संस्थानों से कोई विशेष समर्थन।”

मीडिया उद्योग के गुमनाम नायक

ग्राउंड रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार मीडिया उद्योग के अनदेखे नायक होते हैं। फिर भी, उनके योगदान को शायद ही कभी सराहा जाता है। मुख्यधारा मीडिया में उच्च-स्तरीय संपादकों और हाई-प्रोफाइल एंकरों की छवि इतनी हावी रहती है कि जमीनी पत्रकारिता का संघर्ष दबकर रह जाता है।

डिजिटल युग ने पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है। स्वतंत्र मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने पारंपरिक कॉरपोरेट मीडिया मॉडल को चुनौती दी है। भ्रष्टाचार और अन्याय के बड़े मामलों को उजागर करने में स्वतंत्र पत्रकारिता की भूमिका अहम है। लेकिन यह स्वतंत्रता सत्ताधारी वर्गों को अक्सर खलती है।

चुनौती और दबाव

पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या एक भयावह प्रवृत्ति का प्रतीक है। यह घटना उन चुनौतियों को उजागर करती है, जिनका सामना ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में कार्यरत स्वतंत्र पत्रकार करते हैं। इन पत्रकारों को सच्चाई सामने लाने के लिए व्यक्तिगत जोखिम उठाना पड़ता है।

वरिष्ठ पत्रकार विजय उपाध्याय ने इस मुद्दे पर कहा, “स्थानीय स्तर पर कार्यरत मीडियाकर्मियों को सुरक्षा और क़ानूनी संरक्षण की तत्काल ज़रूरत है। उनके पास ऐसे तंत्र होने चाहिए जो उन्हें खतरों से बचा सकें।”

समाज की भूमिका

ग्रासरूट्स पत्रकारिता को बचाने के लिए समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। मुकेश जैसे पत्रकार सच्चाई और ईमानदारी के प्रतीक हैं। उनकी हत्या यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हम ऐसी आवाज़ों को हमेशा के लिए खोने देंगे?

ग्राउंड जीरो पर काम करने वाले पत्रकारों के संघर्ष और साहस को पहचानना ज़रूरी है। उनकी सुरक्षा और आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। ऐसा करना केवल पत्रकारिता के भविष्य के लिए नहीं, बल्कि एक सशक्त लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक है।

Siraj Qureshiडॉ सिराज क़ुरैशी
अध्यक्ष, हिंदुस्तानी बिरादरी संस्था
एवं भारत सरकार द्वारा कबीर पुरुस्कार से सम्मानित।
संपर्क: 9837078925, contactsqureshi@gmail.com


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Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

By Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

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