महानगर की जलापूर्ति व्यवस्था को सुचारू करने के लिए नगर निगम कार्यकारिणी समिति के उपाध्यक्ष रवि माथुर ने गंगाजल आपूर्ति को लेकर नई रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि मांठ ब्रांच से आवंटित 150 क्यूसेक गंगाजल को बलदेव राजवाह के छिबराऊ एस्केप से डिस्चार्ज कर जीवनी मंडी और सिकंदरा जल शोधन इकाइयों को उनकी पूरी क्षमता पर संचालित किया जा सकता है। इससे न केवल आगरा की जल समस्या का समाधान होगा बल्कि यमुना नदी की बहाव स्थिति में भी सुधार आएगा।
पेयजल संकट और ‘अमृत काल’ में जल आपूर्ति
रवि माथुर ने सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करते हुए कहा कि आगरा-मथुरा के लिए पाडला फाल (बुलंदशहर) से गंगाजल की पाइपलाइन के जरिए 150 क्यूसेक पानी उपलब्ध है, जिसमें से 140 क्यूसेक आगरा को मिलता है। बावजूद इसके, शहर की पानी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही। अगर सिकंदरा और जीवनी मंडी जल शोधन इकाइयों को पुनः सक्रिय किया जाए, तो आने वाले दशकों तक जलापूर्ति में कोई बाधा नहीं होगी।
यमुना नदी की स्थिति में सुधार की उम्मीद
श्री माथुर के अनुसार, छिबराऊ एस्केप से डिस्चार्ज किया जाने वाला गंगाजल गोकुल बैराज के डाउनस्ट्रीम और सिकंदरा जलकल से 5 किलोमीटर अपस्ट्रीम में मिलेगा। इससे न केवल जल शोधन इकाइयां सुचारू होंगी बल्कि यमुना में बहाव की शून्य स्थिति समाप्त होगी। यह व्यवस्था ताज बैराज जैसी योजनाओं के लिए भी सहायक सिद्ध होगी।
प्रदूषण और जलशोधन की चुनौतियां
वर्तमान में गोकुल बैराज से 1300 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज करने का प्रावधान है, लेकिन यमुना में पानी की कमी और बढ़ते प्रदूषण के चलते इसका शोधन कठिन हो गया है। जीवनी मंडी जल शोधन इकाई 260 एमएलडी पानी उठाकर 180 एमएलडी शोधित जल उपलब्ध कराती थी। इसी तरह, सिकंदरा इकाई 158 एमएलडी पानी लिफ्ट कर 90 एमएलडी शोधित पानी देती थी। फिलहाल, ये इकाइयां अपनी पूरी क्षमता पर संचालित नहीं हो रही हैं।
नई जलराशि आवंटन की संभावना नहीं
जल विशेषज्ञों के अनुसार, आगरा की पानी की जरूरत पूरी करने के लिए यमुना नदी पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। नई जलराशि आवंटन की संभावना नहीं है। मांठ ब्रांच और पाडला फाल से उपलब्ध गंगाजल ही शहर की मुख्य आपूर्ति का आधार बना रहेगा।
पेयजल संकट पर जनता की राय
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के सचिव अनिल शर्मा ने बताया कि यमुना में जल की कमी और प्रदूषण के कारण आगरा में पीने के पानी की समस्या गंभीर हो गई है। राजीव सक्सेना और असलम सलीमी ने भी जल समस्या के समाधान के लिए नगर निगम और राज्य सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की।
यमुना जल संकट की वजह
आगरा में यमुना नदी का जल स्तर लंबे समय से कम बना हुआ है, जिससे न केवल जल शोधन प्रभावित हुआ है, बल्कि शहर की जलापूर्ति पर भी गहरा असर पड़ा है। पानी की गुणवत्ता में सुधार और पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता के लिए गंगाजल योजना को प्रभावी ढंग से लागू करना जरूरी है।