डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) ने पांच साल के लिए ए प्लस ग्रेड प्रदान किया है। नैक की ओर से शनिवार को ईमेल के माध्यम से विश्वविद्यालय प्रशासन को यह सूचना दी गई। विश्वविद्यालय ने सात प्रमुख मापदंडों के आधार पर 4 में से 3.33 संचयी ग्रेड बिंदु औसत (सीजीपीए) हासिल किया है, जिससे यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से अधिक अनुदान के योग्य हो गया है। इससे पहले 2017 में विश्वविद्यालय को बी डबल प्लस ग्रेड दिया गया था।
शनिवार को दोपहर करीब एक बजे यह खबर मिलते ही विश्वविद्यालय परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई। कुलपति प्रो. आशु रानी ने खंदारी परिसर में ढोल-नगाड़े बजवाकर इस सफलता का जश्न मनाया। शिक्षकों और कर्मचारियों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कर खुशी का इजहार किया। प्रो. आशु रानी ने बताया कि नैक की सात सदस्यीय टीम ने 24 से 26 अक्टूबर तक विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया था। टीम ने न केवल शोध कार्यों का आकलन किया बल्कि शैक्षणिक गुणवत्ता, विवि के रखरखाव और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी जांचा।
इन सात मानकों पर हुआ मूल्यांकन
नैक ने जिन सात बिंदुओं के आधार पर मूल्यांकन किया उनमें शामिल हैं:
– पाठ्यक्रम पहलू
– शिक्षण अध्ययन और मूल्यांकन
– अनुसंधान परामर्श
– संसाधन
– छात्र समर्थ और प्रगति
– शासन और नेतृत्व
– नवीनता और श्रेष्ठ प्रणाली
ए प्लस ग्रेड मिलने का लाभ
छात्र कल्याण अधिकारी प्रो. मोहम्मद अरशद ने बताया कि ए प्लस ग्रेड मिलने से विश्वविद्यालय का एकेडमिक स्तर बेहतर हुआ है। इसके चलते विश्वविद्यालय अब केंद्रीय और राज्य सरकार से अधिक अनुदान प्राप्त कर सकेगा। इससे शिक्षकों के पास नए प्रोजेक्ट्स आएंगे और विद्यार्थियों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके अलावा, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षिक आदान-प्रदान के समझौतों में भी सहूलियत मिलेगी, जिससे शोध कार्यों का स्तर उन्नत होगा।
टीम में शामिल थे ये सदस्य
नैक टीम का नेतृत्व इस्लामिक इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पूर्व कुलपति प्रो. मुश्ताक अहमद सिद्दीकी ने किया। अन्य सदस्य थे जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रो. रवींद्र कुमार, महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के प्रो. ईश्वरचंद्र पंडित, वीर सुरेंद्र साई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. देवदत्त मिश्र, श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ संस्कृत के प्रो. वीजी गोपालकृष्णन, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के प्रो. नरेश गायकवाड और डॉ. एमजीआर शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थान के प्रो. वेल्लनकन्नी सिरिल राज।
20 साल में बी से ए प्लस तक का सफर
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का पहला नैक मूल्यांकन 2004 में हुआ था, जिसमें इसे बी प्लस ग्रेड मिला था। 2017 में इसे बी डबल प्लस ग्रेड मिला और अब 2024 में ए प्लस ग्रेड मिलने से विश्वविद्यालय शीर्ष संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है। प्रो. आशु रानी ने इस उपलब्धि का श्रेय शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के सहयोग को दिया और कहा कि विश्वविद्यालय का लक्ष्य अब ए डबल प्लस ग्रेड प्राप्त करना है।
टॉप-10 विश्वविद्यालयों में शामिल
आईक्यूएसी निदेशक प्रो. संजीव कुमार के अनुसार, यूपी के 28 राज्य विश्वविद्यालयों में से अब केवल 5 के पास ए डबल प्लस और 5 के पास ए प्लस ग्रेड है। इस ग्रेड के साथ ही डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय प्रदेश के टॉप-10 विश्वविद्यालयों में अपनी जगह बना चुका है।
विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की स्थापना 1 जुलाई 1927 को हुई थी और इसका मूल अधिकार क्षेत्र आगरा, मध्य भारत और राजपूताना में था। अब यह विश्वविद्यालय आगरा मंडल के चार जिलों तक सीमित है और 649 कॉलेज इसके अंतर्गत आते हैं। पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, रामनाथ कोविंद और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी इसके छात्र रह चुके हैं।
राज्यपाल का ए डबल प्लस का लक्ष्य
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने विश्वविद्यालय को ए डबल प्लस ग्रेड प्राप्त करने का लक्ष्य दिया था और हाल ही में हुए दीक्षांत समारोह में इसकी ओर ध्यान देने का निर्देश भी दिया था।
सिविल सोसाइटी ने उठाये सवाल
विश्वविद्यालय के ए प्लस ग्रेड मिलने पर सिविल सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा ने छात्रों से जुड़े कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “क्या ए प्लस ग्रेड मिलने से सत्र समय पर चलेंगे? मार्कशीट और डिग्री छात्रों को समय पर मिलेंगी? क्या शिक्षा का स्तर उस ऊंचाई तक पहुंचेगा, जिसके लिए यह विश्वविद्यालय प्रसिद्ध था? बिना स्थायी शिक्षकों के क्या शिक्षा का स्तर सुधर पाएगा?”
अनिल शर्मा ने कहा कि आज प्रकाशित एक बयान में स्पष्ट किया गया है कि विश्वविद्यालय को अधिक अनुदान प्राप्त होगा, लेकिन यह किसके लिए होगा? उन्होंने कहा, “कम छात्र संख्या वाले पाठ्यक्रमों को बंद करने की योजना है। ओएमआर शीट पर परीक्षा कराने का विरोध ऑटा (ऑल यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन) कर रही है। छात्रों के हितों के लिए हमारे कई प्रश्न और चिंताएं हैं।”
शर्मा ने विश्वविद्यालय प्रशासन से आग्रह किया कि वह न केवल वित्तीय सहायता प्राप्त करने पर ध्यान दें, बल्कि शिक्षकों की नियुक्ति, शैक्षणिक सत्र को समय पर रखने, और छात्रों के प्रमाणपत्र एवं डिग्रियों को सही समय पर वितरित करने जैसे बुनियादी मुद्दों को भी प्राथमिकता दें।