आगरा में दयालबाग स्थित राधास्वामी सत्संग सभा द्वारा कथित तौर पर यमुना की तलहटी पर अवैध क़ब्ज़ा किए जाने को लेकर चल रहे विवाद ने मंगलवार को नया मोड ले लिया, जब सत्संग सभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष समेत तीन लोगों के ख़िलाफ़ थाना न्यू आगरा में सरकारी संपत्ति पर क़ब्ज़े की एफ़आईआर दर्ज कर ली गई।
चार माह पूर्व अप्रैल में शुरू हुए इस क़ब्ज़े को लेकर सत्संग सभा और आगरा प्रशासन में ज़बर्दस्त तनातनी बनी हुई थी और दोनों ही पक्ष इस मामले को हाई कोर्ट और एनजीटी तक ले गये, जहां अभी मामला चल ही रहा था कि आज आगरा प्रशासन की राजस्व टीम ने दयालबाग़ के मौजा जगनपुर, सिकन्दरपुर व खासपुर में छापामारी कर सारे अतिक्रमित क्षेत्र की पैमाइश कर डाली। ड्रोन की मदद से किए गये इस सर्वे के बाद क़ब्ज़े का चिन्हांकन किया गया, जिसके बाद राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग, आगरा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित अन्य के विरूद्ध आम रास्ता अवरूद्ध करने तथा अनाधिकृत कब्जा करने पर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
दोनों एफआईआर सदर तहसील के लेखपाल की ओर से सरकारी संपत्ति पर कब्जे और नुकसान पहुंचाने को लेकर हुई हैं। एक एफआईआर में राधा स्वामी सत्संग सभा के अध्यक्ष गुरु प्रसाद सूद, उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव व अनूप श्रीवास्तव को नामजद किया गया है।
तहसीलदार रजनीश बाजपेयी, सुर्जन सिंह लेखपाल, अतुल लेखपाल, सचिन जैन लेखपाल, प्रताप सिंह के साथ तहसील सदर की राजस्व टीम द्वारा नहर, आम रास्ता, टेनरी, बिजली घर, खाद के गड्ढे, खेल का मैदान व बंजर जमीन के रूप में दर्ज विभिन्न गाटा संख्या की पैमाइश कर चिन्हांकन किया गया। टीम ने मौक़े पर पाया कि सत्संग सभा द्वारा विभिन्न स्थानों पर चक रोड पर गेट, दीवार आदि लगाकर सरकारी भूमि का अवैध अतिक्रमण कर कब्जा किया गया है, जिससे जनसामान्य को आने-जाने में गम्भीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा था तथा तनाव की स्थिति बनी हुई थी।
चार माह पूर्व अप्रैल में इस क़ब्ज़े की शुरुआत सत्संग सभा द्वारा यमुना की तलहटी में बड़े पैमाने पर बैरिकेडिंग किए जाने से हुई। इस क़ब्ज़े वाली ज़मीन पर सत्संग सभा द्वारा झोंपड़ियाँ बनाकर खेती की जाने लगी और स्थानीय निवासियों के विरोध के बावजूद बाक़ायदा अपने बोर्ड लगाकर आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया गया। ज़िला प्रशासन द्वारा इस संबंध में कार्यवाही कर सत्संग सभा द्वारा डूब क्षेत्र में किए जा रहे किसी भी निर्माण पर तात्कालिक प्रभाव से पाबंदी लगा दी गई लेकिन यह घेराबंदी और अवैध निर्माणों का सिलसिला गुपचुप तरीक़े से जारी रहा, यहाँ तक कि एक अवैध सड़क भी बना ली गई, जिसके बाद मामला एनजीटी और इलाहाबाद हाई कोर्ट में चला गया। पिछले दिनों ग्रामीणों ने भी जमीन पर कब्जा करने के आरोप लगाए थे।