छोटा और औद्योगिक दृष्टि से विपन्न शहर होने के कारण आगरा से पिछले एक दशक से तेज़ हुए युवा प्रतिभाओं के पलायन के दुष्परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं। न सिर्फ़ आगरा में उद्यमशील युवाओं की आबादी कम हो रही है, बल्कि अकेले रहने वाले बुजुर्ग नागरिकों की संख्या भी चौंकाने वाले स्तर तक पहुँच गई है। आगरा शहर हो या उसके आसपास के गाँव, हर आवासीय क्षेत्र में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है, और इसके ही साथ बढ़ रहे हैं ऐसे बुजुर्गों के साथ होने वाले अपराध।
इस समस्या को भाँपते हुए आगरा पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह ने आगरा नगर निगम से अकेले रहने वाले बुजुर्ग नागरिकों की जानकारी संकलित कर, क्षेत्रीय बीट के सिपाहियों को ऐसे नागरिकों की कुशलक्षेम पूछते रहने की ज़िम्मेदारी दे दी है। बीट के सिपाहियों के माध्यम से ऐसे बुजुर्गों का और विस्तृत डाटा इकट्ठा किया जा रहा है जिससे उनकी और अच्छी सुरक्षा की जा सके।
आगरा पुलिस कमिश्नर प्रीतिंदर सिंह के अनुसार आगरा में बड़ी संख्या में ऐसे बुजुर्ग रहते हैं जिसके बच्चे शहर से बाहर नौकरी करते हैं। ऐसे बुजुर्गों को अगर कोई दिक़्क़त होती है, या उनके साथ कोई अपराध होता है तो उनको समझ में नहीं आता कि वे किससे मदद माँगें। ऐसे बुजुर्ग नागरिकों के लिए अब आगरा पुलिस कमिश्नरेट में व्यवस्था की जा रही है, जिसके लिये थानावार डाटा इकट्ठा किया जा रहा है ताकि ऐसे बुजुर्ग ख़ुद को अकेला न समझें। नगर निगम से भी ऐसे नागरिकों का डाटा लिया जा रहा है और क्षेत्रीय बीट के सिपाहियों को दिया जा रहा है ताकि ये सिपाही इन बुजुर्गों से संपर्क कर समय-समय पर उनके हालचाल पूछते रहें। इसके साथ ही इनके परिवार के एक और सदस्य का फ़ोन नंबर भी पुलिस अपने रिकॉर्ड में रख रही है ताकि किसी आकस्मिक स्थिति में उनसे संपर्क किया जा सके।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय के अनुसार ऐसा केवल अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्ग नागरिकों से भी संपर्क किया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों के मन में सुरक्षा की भावना पैदा करना और उनका भरोसा जीतना है। आने वाले समय में इन सभी बुजुर्गों के 112 आकस्मिक सेवा से भी जोड़ा जाएगा ताकि उनके एक कॉल पर ही उनको त्वरित पुलिस सहायता पहुँच सके।
थोड़े-थोड़े समय बाद पुलिसकर्मी इन बुजुर्गों से मिलेंगे और उनसे फ़ोन पर भी बातचीत करेंगे ताकि उनको कोई दिक़्क़त होने पर उनकी सहायता की जा सके। अगर इन बुजुर्गों को किसी बात का डर है, तो उसका तुरंत निवारण करने के प्रयास किए जाएँगे। बीट के सिपाहियों को बुजुर्गों से किए गये संपर्क की प्रतिदिन की रिपोर्ट भी थाने में देनी होगी।
इसके साथ ही, मिशन शक्ति के तहत आगरा पुलिस महिलाओं और बच्चियों से संपर्क कर उनको न सिर्फ़ उनकी सुरक्षा के बारे में जागरूक कर रही है, बल्कि उनको सरकारी योजनाओं के बारे में बता रही है। अकेली रहने वाली महिलाओं के राशन कार्ड, बिजली कनेक्शन आदि के काम भी पुलिस ने कराकर दिये हैं। यही मंशा इन बुज़ुर्गों का डाटा इकट्ठा करने के पीछे भी सक्रिय है, जिससे इनकी समस्याओं के हल में भी पुलिस मददगार बन सके।