दशकों से आगरा के दयालबाग़ में किसानों की भूमि पर अवैध क़ब्ज़ा हो रहा था, लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बन कर देख रहा था। चक रोड बंद होती गईं, गाँवों के रास्ते रुकते रहे, किसान शिकायत दर्ज करते रहे लेकिन राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग़ का प्रभाव इतना था कि तहसील से कोई देखने तक नहीं आया। 20 दिसंबर 2009 को सिकंदरपुर गाँव की भूमि पर क़ब्ज़े को लेकर खूनी संघर्ष हुआ, गोलियाँ चलीं, दोनों पक्षों के लोग घायल हुए, यहाँ तक कि मामला सीबीआई तक पहुँच गया, लेकिन आये-दिन होने वाले इन झगड़ों के मूल में कोई नहीं गया।
लिहाज़ा, सार्वजनिक संपत्ति पर राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग़ के रिकॉर्ड तोड़ क़ब्ज़े होने लगे। नहर, रास्ते, खेल-खलिहान, खेल के मैदान तक नहीं बचे। यमुना नदी की तलहटी तक सत्संग सभा ने क़ब्ज़ा ली। अप्रैल माह में वहाँ एक पक्की सड़क भी बना डाली, जिसके बाद आख़िरकार आगरा प्रशासन नींद से जागा और सत्संग सभा के अध्यक्ष समेत तीन लोगों के ख़िलाफ़ मंगलवार को सरकारी संपत्ति पर क़ब्ज़े की एफ़आईआर दर्ज करा दी गई। अब इन्हें प्रशासन बेदखल करेगा और आपराधिक मुकदमे के साथ साथ राजस्व न्यायालय में भी वाद चलेगा, जिसके लिए प्रशासन ने सत्संग सभा को नोटिस भेज दिये हैं। नोटिस में सत्संग सभा को चेतावनी दी गई है कि अगर सार्वजनिक संपत्ति पर किए अवैध क़ब्ज़े सात दिन में नहीं हटाये तो प्रशासन सत्संग सभा के पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करेगा।
तहसीलदार रजनीश वाजपेयी ने बताया है कि प्रशासन द्वारा एफआईआर में नामित सत्संग सभा के पदाधिकारियों के ख़िलाफ़ तहसील स्तरीय एंटी भूमाफ़िया टास्क फ़ोर्स की बैठक में उन्हें भूमाफ़िया के रूप में चिन्हित करने के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा।
आगरा विकास प्राधिकरण भी यमुना के डूब क्षेत्र में किए गये निर्माण को लेकर सत्संग सभा के ख़िलाफ़ कार्यवाही का मन बना चुका है। कोर्ट के आदेश पर सिंचाई विभाग ने बृहस्पतिवार को आगरा विकास प्राधिकरण ने कार्यवाही के लिए लिखा है। चूँकि एनजीटी के आदेश के अनुसार डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण रोकना आगरा विकास प्राधिकरण की ज़िम्मेदारी है, अतः प्राधिकरण अब इन निर्माणों को ध्वस्त करने की कार्यवाही कर सकता है। सिंचाई विभाग के अभियंता पंकज अग्रवाल ने साफ़ किया है कि एनजीटी के आदेश के अनुसार 15 सितंबर तक इन अवैध निर्माणों पर निर्णय लिया जाना था, जिसके क्रम में यह निर्णय लिया गया कि इन निर्माणों पर कार्यवाही आगरा विकास प्राधिकरण की ज़िम्मेदारी है, इसलिए प्राधिकरण को पत्र लिखा गया है।
सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के मामले में मंगलवार को प्रशासन ने राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग़ अध्यक्ष गुरु प्रसाद सूद, उपाध्यक्ष प्रेम प्रकाश व अनूप श्रीवास्तव के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके बाद अब सत्संगियों को इन संपत्तियों से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू होनी है। राजस्व संहिता के मुताबिक प्रशासन आगे की कार्रवाई करेगा। दयालबाग क्षेत्र में खासपुर, जगनपुर, सिकंदरपुर, लाल गढ़ी, नगला तल्फी, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर आदि एक दर्जन गाँव हैं। जिनमें 12 से अधिक सार्वजनिक रास्तों पर सत्संगियों ने कंटीले तारों से तारबंदी कर रखी है। ग्रामीणों का निकलना बंद हो गया है। उधर, खाद के गड्ढे, खेल के मैदान, टेनरी व बंजर भूमि पर भी अवैध कब्जे के आरोप हैं।
लाल गढ़ी निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य भूरी सिंह का आरोप है कि सत्संगियों ने एक हजार बीघा से अधिक भूमि पर कब्जा कर रखा है। सिकंदरपुर में 900 बीघा का जंगल घेर लिया है। वन विभाग की इस भूमि पर भी तारबंदी व अवैध निर्माण किए हैं। भूरी सिंह ने सत्संगियों के कब्जे की भूमि का लैंड ऑडिट कराने, भूमाफिया के रूप में चिहिंत करने व सत्संग सभा की संपत्तियों की सीबीआई जांच करने की मांग की है।
किसान नेता श्याम सिंह चाहर ने मांग की कि जब तक सार्वजनिक संपत्तियों से सत्संगियों को बेदखल नहीं किया जाता, तब तक सत्संगियों की पोइया घाट व अन्य कब्जा क्षेत्र में आवाजाही को प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि प्रशासन ने सत्संगियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की तो वह आमरण अनशन करेंगे।
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता कप्तान सिंह चाहर ने खासपुर में बृहस्पतिवार को एक बैठक की जिसमें यह निर्णय हुआ कि यह मामला लोकसभा और विधानसभा में भी उठाया जाएगा। कप्तान सिंह का कहना था कि राधास्वामी सत्संग सभा का यह कृत्य अवैध है और राष्ट्रीय लोकदल इस लड़ाई को किसानों के साथ एकजुट होकर लड़ेगा।
उधर डूब क्षेत्र में अवैध क़ब्ज़े और निर्माण को लेकर मामला दर्ज होने के बाद बृहस्पतिवार को सत्संग सभा ने मज़दूर लगाकर वहाँ बना खड़ंजा उखड़वाना शुरू कर दिया है। 2 अगस्त को सत्संगियों ने जबरन यह अवैध निर्माण किया था, जिसके बाद सिंचाई विभाग ने नोटिस भेजा। नोटिस के खिलाफ सत्संग सभा ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एनजीटी ने एक महीने में ज़िलाधिकारी व सिंचाई विभाग को अवैध निर्माण मामले में निर्णय लेने के आदेश दिए थे। 15 सितंबर को एक माह की मियाद खत्म हो गई, और उसके साथ ही सत्संग सभा द्वारा दशकों से किए जा रहे अवैध कब्जों की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है।