Loudspeaker

Loudspeakerआजकल हर वर्ग के लोग धार्मिक उन्माद में कुछ ज्यादा ही डूबते हुए नज़र आने लगे हैं, जबकि हमारे हिंदुस्तान की विश्वपटल पर ऎसी पहचान मानी जाती रही है जहाँ सांप्रदायिक एकता एवं भाईचारे रुपी नदियां बहती हैं। लेकिन कुछ समय से धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों (Loudspeaker) ने इस सांप्रदायिक एकता और भाईचारा रूपी नदियों में गंदगी घोलने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन वह लोग जो लाउडस्पीकर्स (Loudspeaker) की आड़ लेकर देश / प्रदेश में उन्माद पैदा करने में लगे हैं, वह कतई अपने मकसद में कामयाब नहीं होने पाएंगे क्योंकि यह देश / प्रदेश हमेशा गंगा – यमुनी तहजीब की छाया में रहा है। यह कहना था सामजिक कार्यकर्त्ता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सुमेर तैमूरी का।

तैमूरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मुस्लिम और हिन्दू वर्ग के लोगों ने स्थानीय प्रशासन से रमजान माह के इस महीने में “सहरी” के समय रोजेदारों को नींद से जगाने के लिए लाउडस्पीकरों (Loudspeaker) के इस्तेमाल पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।

तैमूरी ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकर (Loudspeaker) के इस्तेमाल के लिए एक गाइडलाइन निश्चित कर राखी है। इसके तहत ही लाउडस्पीकर की आवाज की एक सीमा भी तय की गई है। इसके अलावा रात 10 बजे से प्रातः 6 बाटे एक लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी भी लगाई गई है ताकि लोग चैन की नींद सो सकें।

इसी सन्दर्भ में सत्ता से जुड़े एक नेता ने अपना नाम न छपने का अनुरोध करते हुए कहा कि चाहे मंदिर हो या मस्जिद, किसी को भी दूसरे के आराम में खलल डालने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि कुछ मांग पूर्व केरल के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र “मल्ल्पुरम” में कुछ मस्जिदों ने अजान के लिए अपनी मर्जी से ही से ही लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल बंद कर दिया था ताकि स्थानीय लोगों को दिक्कत न हो।

इसी सम्बन्ध में देश के कुछ कट्टरपंथियों ने देश में बहस छेड़ी थी कि लाउडस्पीकर (Loudspeaker) पर अजान देना इस्लामी हक़ है या नहीं? वर्तमान में भारत की लाखों मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान की आवाज सुनाई देती है। रमजान माह में तो रात 3 बजे से सहरी को जगाने के लिए लाउडस्पीकर से समय बताने की आवाजें सुनाई देने लगती हैं। मंदिरों में भी प्रातः 4:30 बजे से लाउडस्पीकर पर भजन आदि शुरू हो जाते हैं। गुरुद्वारों में भी गुरुवाणी प्रातः से ही शुरू हो जाती है।

अब लाउडस्पीकर को लेकर धार्मिक प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती दिखाई देने लगी है। लाउडस्पीकर (Loudspeaker) की संख्या और मानक से ज्यादा आवाज भी बढ़ती हुई दिखाई देने लगी है। शायद इसी वजह से कभी कभी टकराव की नौबत आ जाती है और यही नफरत का स्रोत बन जाती है।

हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा के अनुसार आज की जटिल और भाग – दौड़ से भरी जिंदगी में धर्म और आध्यात्म का महत्त्व पहले से ज्यादा बढ़ गया है। धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकर के इस्तेमाल ने आध्यात्मिकता के इस शांत माहौल को बेपनाह शोर से अस्तव्यस्त कर दिया है, जबकि हर धर्म शान्ति और प्रेम – भाईचारे का सन्देश देता है। लाउडस्पीकर की आवाज में शायद यह प्रेम और भाईचारे का सन्देश कहीं खो गया है। लोगों की शान्ति – अशांति में बदलती दिखाई देने लगी है। अब समय आ गया है कि सभी इस फिजूल की प्रतिस्पर्द्धा से बाहर निकल कर साम्प्रदायिकता रुपी विष की खाई को सदैव के लिए पाट दें।

S Qureshi