Air pollution

Air pollutionआगरा मंडल के आगरा और मथुरा-वृंदावन में प्रतिदिन सैंकड़ों की संख्या में देशी – विदेशी पर्यटक ताजमहल सहित समस्त ऐतिहासिक इमारतों एवं मंदिरों के भ्रमण व दर्शन को पधारते हैं। हर पर्यटक ताज एवं अन्य ऐतिहासिक इमारतों का भ्रमण और मंदिरों के दर्शन करने के बाद संतोष तो व्यक्त करता है, लेकिन इन दोनों शहरों में व्याप्त भीषण वायु प्रदूषण (Air pollution) से बेहद दुःखी भी नजर आता है।

आगरा भ्रमण को आये एक विदेशी सैलानी ने साफ़ कहा कि ताजमहल के आसपास की हवा और बाकी शहर की हवा की गुणवत्ता में जमीन – आसमान का अंतर है, जिसका साफ़ मतलब है कि शहर की हवा में चार और दो पहिया वाहनों की वजह से ही सबसे अधिक प्रदूषण (Air pollution) हो रहा है। जितनी बिजली आगरा उपयोग कर रहा है, उसके उत्पादन में होने वाले कार्बन उत्सर्जन के बाद चार और दो पहिया वाहनों की वजह से प्रदूषण होता नजर आ रहा है।

आगरा निवासी एवं दयालबाग डीम्ड विश्वविद्यालय में शोधार्थी आर्यन गुप्ता का कहना था कि आगरा की हवा में प्रतिदिन 15.54 किलोटन प्रदूषक तत्व (Air pollution) विद्यमान रहते हैं और ऊर्जा क्षेत्र का इसमें सबसे अधिक 50 प्रतिशत योगदान है।

आर्यन ने बताया कि आगरा में जितनी बिजली खपत है उससे 8.87 किलोटन प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन हो रहा है। बिजली बनाएं में कोयले आदि से होने वाले प्रदूषण का असर पूरे देश पर पद रहा है। आर्यन गुप्ता ने डॉ0 रणजीत कुमार के मार्गदर्शन में अपनी शोध की है।

एक प्रश्न के उत्तर में डॉ0 रणजीत कुमार ने बताया कि प्रदूषण के विभिन्न स्रोत्रों और स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जागरूकता की कमी से हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है। वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत्र ऊर्जा, परिवहन, कृषि अपशिष्ट, घरेलू और उद्योग पाए गए हैं। इसलिए इनमें कमी लाने हेतु वायु प्रदूषण (Air pollution) नियंत्रण कार्यक्रम चलाने की आवश्यकता है।

आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैम्बर के सचिव विशाल शर्मा का कहना था कि ताजमहल के शहर आगरा की हवा में जो तत्व जहर घोल रहे हैं, उनमें पार्टिकुलेट मैटर (PM-10, PM-2.5), कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, अमोनिया, मीथेन के लिए उत्सर्जन सूची हाल ही में जारी की गई है और इन सभी प्रदूषक तत्वों (Air pollution) का कुल उत्सर्जन 15.54 किलोटन प्रतिदिन पाया गया है। शर्मा ने बताया कि परिवहन क्षेत्र में कारों और बसों से सर्वाधिक प्रदूषण होता है। इसलिए स्वच्छ हवा को मौलिक अधिकारों की सूची में लाया जाना बहुत आवश्यक है, तभी कोई बचाव की संभावना है।

 

S Qureshi