ताजमहल का दीदार कर रहे देशी-विदेशी पर्यटक अचानक घबरा गए जब नारंगी वर्दी पहने हुए नेशनल डिजास्टर रेस्पोंस फ़ोर्स (NDRF) के जवानों ने ताजमहल की मीनारों, दीवारों से रस्सी बांधकर स्टेचर से लोगों को उतारना शुरू कर दिया।
कुछ जवानों ने दौड़ कर लोगों को पीठ पर लादा और चलने लगे तो ताजमहल परिसर में मौजूद लोगों में भी किसी अनहोनी की आशंका को लेकर घबराहट फ़ैल गई और वे एक – दूसरे से पूछने लगे कि आखिर हुआ क्या है। हालांकि थोड़ी देर में ही स्थिति साफ़ हो गई कि ताजमहल में भूकंप और आग से पर्यटकों को बचाने के लिए NDRF की यह मॉक ड्रिल है।
लगभग एक घंटे तक चली मॉक ड्रिल में NDRF , सिविल डिफेंस, CISF और पुलिस ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चैम्बर के सचिव विशाल शर्मा का कहना था कि NDRF की टीम प्राकृतिक आपदाओं के बाद लोगों के बचाव में उल्लेखनीय भूमिका निभाती है। इस मॉक ड्रिल में NDRF की टीम ने ताजमहल के विस्तृत परिसर में प्राकृतिक आपदा के कारण फंसे पर्यटकों को कैसे बाहर निकालना है, इसका अभ्यास किया।
इसी सदंर्भ में पर्यटन व्यवसाय से जुड़े आमिर कुरैशी ने मांग की कि NDRF की एक टीम ताजमहल के समीप स्थायी रूप से तैनात किया जाए ताकि किसी प्राकृतिक आपदा के समय पर्यटकों के बचाव के लिए कदम उठाने में अनावश्यक देर न हो।
आमिर ने कहा कि केवल एक दिन मॉक ड्रिल करने से किसी का भला नहीं होगा। आवश्यकता इस बात की है कि आपदा से रहत और बचाव के आगरा में स्थायी प्रबंध किये जाएँ। उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस बारे में सकारात्मक रूप से विचार करेगी।