प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों विवादित कृषि का नून वापस लिए जाने की घोषणा करने के साथ ही ब्रज के किसानों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और वे मिठाई बांटते हुए नाचने लगे हालांकि कई उम्रदराज किसानों ने प्रधानमन्त्री की इस घोषणा को अभी आधी जीत ही कहा।
एक प्रश्न के उत्तर में बाह क्षेत्र के किसान प्रभूदयाल सिंह ने कहा की डीजल में सब्सिडी देने और MSP पर कानून बनाये जाने की मांग अभी नहीं मानी गई है। जब तक यह मांगें पूरी नहीं हो जातीं, आंदोलन जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राजवीर सिंह लवानियां ने बताया की आंदोलन में 600 से अधिक किसानों की मौत हो गई है। केंद्र सरकार इन को शहीद का दर्जा देकर सम्मानित करे तथा जिन किसानों पर फिर दर्ज की गई है उसे ख़त्म किया जाए।
आगरा मंडल के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह परिहार का कहना था की डीजल पर सब्सिडी देने के साथ साथ अधिकतम समर्थन मूल्य पर सरकार कानून भी बनाये तभी किसानों की आय में इजाफा होगा। इन मांगों के पूरा न होने तक आंदोलन ख़त्म नहीं होगा।
इसी तरह उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी के विधि एवं मानवाधिकार विभाग ने भी तीनों कृषि कानून वापस लेने पर मिठाई बांटते हुए कहा की कई चुनावों में हारने के बाद उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में हारने के डर से प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानून वापस लेने की घोषणा की है।
आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी गुरूद्वारे पर जाकर मत्था टेका और मिठाई बांटी तथा इसे लोकतांते और किसान भाइयों की जीत बताया। आम आदमी पार्टी नेता कपिल वाजपेयी ने कहा की पार्टी ने संसद से लेकर सड़क तक काले कानूनों का विरोध किया था।
ग्रामीण क्षेत्र के किसान नेता अर्जुन सिंह छोंकर और उनके साथियों ने अछनेरा – किरावली आदि गांवों में मिष्ठान्न का वितरण भी किया। इस दौरान RLD नेता चौधरी फ़ौरन सिंह आदि ने प्रधानमन्त्री की इस घोषणा को किसानों की जीत बताया। किसान नेता चौधरी रामवीर सिंह का कहना था की आखिर मोदी सरकार को किसानों के आगे झुकना ही पड़ा, जबकि दूसरे किसान नेता प्रदीप शर्मा ने बताया की किसानों का संघर्ष रंग लाया। 600 किसानों की मौत होने से उनके परिवार संकट में आ गए हैं इसलिए इनकी शहीद का दर्जा देकर मुआवजा दिया जाये।
बसपा के पूर्व विधायक डॉ0 धर्मपाल सिंह ने कहा की किसान भाई एक वर्ष से ज्यादा समय से आंदोलन करते हुए तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। इस आंदोलन के दौरान जिन अन्नदाताओं को जान गंवानी पड़ी आज उन्हीं का बलिदान रंग लाया है। उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाये।
कांग्रेस नेता शब्बीर अब्बास ने कहा की तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से सिद्ध हो गया की यह किसानों के हित में नहीं थे लेकिन मोदी सरकार हठधर्मी पर अड़ी हुई थी। माहौल को अपने विपरीत देखते हुए ही इन्हें वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है।
सपा के जिलाध्यक्ष मधुसूदन शर्मा का कहना था की जैसे ही सपा मुखिया अखिलेश यादव रथ पर सवार होकर निकले हैं, उनके डर से इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने हेतु मोदी सरकार को मजबूर होना पड़ा है।
कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि मोदी सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लिए जाना एक चुनावी स्टंट है। एक साल के धरने में किसान भाइयों ने बहुत कुछ खोया है, उसकी भरपाई कौन करेगा। लगभग 700 किसानों की मौत इस किसान विरोधी सरकार के कारण हुई है। उनके परिवारों के बीच जाकर प्रधानमन्त्री को शोक संवेदना व्यक्त करनी चाहिए।
इस सन्दर्भ में भाजपा के शहर अध्यक्ष भानु महाजन का कहना था कि भाजपा की रीति और नीति है कि राष्ट्र प्रथम, संगठन द्वितीय एवं व्यक्तिगत हित सबसे अंत में। इसी भावना का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया है। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की नीति है हमारी। यह तीनों कानून वैसे किसानों के हित में ही थे।