आगरा की न्यू लॉयर्स कॉलोनी निवासी वरिष्ठ आदिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने आगरा की एक अदालत में अर्जी लगाईं है कि सिने अभिनेत्री कंगना रनौत ने भारत को 1947 में मिली आजादी को ‘भीख’ में मिली आजादी बताया है। कंगना द्वारा आजादी को भीख बताने पर और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के इस प्रकरण पर चुप्पी साथ लेने को लेकर देशद्रोह का परिवाद न्यायालय में दाखिल किया गया है।
सूत्रों के अनुसार CJM कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 25 नवम्बर की तारीख नियत करते हुए थाना न्यू आगरा से आख्या भी मांगी है।
रामशंकर शर्मा अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट में दाखिल परिवाद में हमने आरोप लगाया है कि कंगना ने देशभक्त शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों सहित पूरे राष्ट्र का अपमान किया है। इससे परिवादी और अन्य अधिवक्ताओं आदि की भावनाएं आहत हुई हैं। उन्होंने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी पर भी देश का अपमान करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही नहीं करने का आरोप लगाया है। अदालत में राष्ट्रद्रोह अधिनियम सहित अन्य आरोप में परिवाद पत्र प्रस्तुत कर तलब करने का आग्रह किया है।
अभिनेत्री कंगना रनौत पर आरोप लगाते हुए शर्मा ने कहा कि उन्होंने देशभक्त शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों सहित पूरे राष्ट्र का अपमान किया है। प्रधानमन्त्री मोदी को देश का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
सामाजिक कार्यकर्ता समीर का कहना था कि कंगना को देश की आजादी का इतिहास दुबारा और निष्पक्ष स्रोतों से पढ़ना चाहिए। इस देश से अंग्रेजी हुकूमत को भगाने के लिए सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान न्यौछावर कर दी थी और कगना कहती हैं आजादी भीख में मिली थी।
हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने कहा कि कंगना से देश की आजादी के बारे में सवाल पूछना ही गलत था क्योंकि देश कंगना की उम्र से लगभग दो गुना समय पहले आजाद हो चुका था। उन्होंने कहा कि कंगना सिर्फ एक फिल्म अभिनेत्री हैं, कोई इतिहास विशेषज्ञ नहीं जो उनकी देश की आजादी को लेकर राय का कोई अकादमिक महत्व हो। जो कंगना ने देश की आजादी के बारे में कहा है वह उनकी व्यक्तिगत धारणा है, इसको जितना अधिक सार्वजनिक मंच पर दोहराया जाएगा, कंगना उतना ही चर्चा का विषय बनेंगी, जोकि शायद उनका मूल उद्देश्य था। अतः ठीक यही होगा कि कंगना के इस वक्तव्य पर कोई बहस न करके इसको उनके पुराने ऊल-जलूल वक्तव्यों की तरह रद्दी की टोकरी में डाल देना चाहिए।