प्रदेश सरकार के अपराध मुक्त छवि पर भाजपा के नेता ही अपने बयानों से उस समय सवाल खड़े कर रहे हैं जब उत्तर प्रदेश विधानसभा नजदीक हैं। उत्तराखंड की पूर्व राजयपाल और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य ने प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के चुनाव क्षेत्र बनारस में यह बयान देकर, कि महिलाओं को अँधेरा होने के बाद थानों में नहीं जाना चाहिए, भाजपा काल में महिला सुरक्षा के गिरते स्तर पर कडा प्रहार किया।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए बेबी रानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के पुलिस स्टेशनों पर एक महिला अधिकारी और सब इन्स्पेक्टर बैठती जरूर हैं लेकिन एक बात जरूर कहूँगी कि अंधेरा होने के बाद कभी भी पुलिस स्टेशन नहीं जाना। अगर जरूरी हो हो सुबह के समय जाना और साथ में भाई, पिता या पति को जरूर ले जाना।
एक प्रश्न के उत्तर में आगरा की पूर्व मेयर रहीं बेबी रानी मौर्य ने कहा कि खाद वितरण के संबंध में सरकार को अधिकारी गुमराह कर रहे हैं। आगरा के तमाम किसान, जो उनसे मिलने आए थे, यही शिकायत कर रहे थे कि आपके आश्वासन के बाद भी अधिकारियों से जाकर मिलने पर अधिकारी किसानों को यही कहकर टरका रहे हैं कि खाद नहीं है।
इस संबंध में कॉंग्रेसी नेता शब्बीर अब्बास ने कहा कि भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने साच बोलकर भाजपा की उलटी गिनती शुरू कर दी है। बेबी रानी मौर्य जनता एवं किसानों का वर्तमान दुख – दर्द समझती हैं। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होकर निडरता के साथ खुले मंच से बोलकर बेबी रानी ने प्रदेश की भाजपा सरकार को उलझा कर रख दिया है।
सपा नेता वाजिद निसार का कहना था कि अखिलेश राज में महिला सुरक्षा को लेकर कई अभिनव प्रयोग किये गए थे, जिनमें 1090 महिला हेल्पलाइन भी शामिल है, जिसके कारण महिलाओं को अपनी शिकायत सिर्फ एक फोन कॉल के माध्यम से दर्ज करने की सुविधा दी गयी थी और उन्हें थाने जाने की जरूरत ही नहीं है| अखिलेश राज में पुलिस फ़ोर्स को महिला सुरक्षा के प्रति संवेदनशील बनाया गया था लेकिन योगी राज की ‘ठोक दो’ नीति के चलते पुलिस पूरी तरह निरंकुश हो गई है| प्रदेश पुलिस थानों में हत्याएं कर रही है, और ऐसे में, जब आदमी ही थानों में जाते समय खुद को सुरक्षित महसूस ना करें, तो महिलायें कैसे कर सकती हैं?
लेकिन हिन्दुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने इस संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा कि बेबी रानी मौर्य के बयान के राजनीतिक निहितार्थ निकालना गलत होगा क्योंकि उनका बयान भाजपा सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर नहीं, बल्कि महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को लेकर था। शर्मा ने कहा कि वैसे भी महिलाओं को रात में थाने पर बयान दर्ज कराने के लिए बुलाने पर रोक है। ऐसे में, बेबी रानी केवल महिलाओं को उनकी सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक कर रही थीं और उनका बयान प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ नहीं है, बल्कि पुलिस संगठन में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी को इंगित करता है।