ब्रज के वरिष्ठ नागरिकों की दशकों पहले मनाई पहली करवा चौथ की यादें एक बार फिर ताजा हो आईं जब शादी के 4-5 दशक बाद भी अपनी शादी की साड़ी पहन कर उन्होंने करवा चौथ की तैयारियां कीं। आज जब वे बहुएँ नहीं, खुद सास बन चुकी हैं, तब भी उनका करवाचौथ मनाने का उत्साह कम नहीं हुआ है।
आज ऐसी कई महिलाओं से बात करने पर यह साफ़ हो गया कि बढ़ती हुई उम्र के बावजूद वे आज भी पूरे उत्साह के साथ इस त्यौहार को मनाती हैं। 65 वर्षीय डॉ0 मधु शर्मा ने बताया कि शादी पर पहनी साड़ी और जेवर मैंने आज तक संभाल कर रखे हैं। हर करवाचौथ पर साड़ी को ड्राई क्लीन करवा कर पहनती हूँ और पति के साथ चाँद देखकर ही अन्न – जल ग्रहण करती हूँ। हर साल इस त्यौहार का सभी वरिष्ठ महिलाओं को बेसब्री से इन्तजार रहता है।
5 नवम्बर 1961 को वैवाहिक बंधन में बंधे श्रीचंद छाबड़िया की पत्नी कविता ने बताया कि मैं अपने शादी के जोड़े को बड़ा संभाल कर बक्से में रखती हूँ और करवा चौथ के दिन ड्राई क्लीन करा कर पहनती हूँ।
बल्केश्वर निवासी साहित्यकार राजबहादुर सिंह अपनी पत्नी रुक्मणि देवी को हर करवा चौथ पर कविता की चार पंक्तियाँ समर्पित करते हैं। श्रीमती रुक्मणि देवी ने बताया कि 31 दिसम्बर 1969 में उनकी शादी हुई थी और उस दिन जो साड़ी पहनी थी वो आज भी उन्होंने बहुत संभाल कर रही है। हर वर्ष करवा चौथ पर वही साड़ी ड्राई क्लीन करवा कर पहनती हैं और पूरा श्रृंगार भी करती हैं। बिना चाँद के दर्शन किये वे अन्न – जल ग्रहण नहीं करती हैं। हर वर्ष इस त्यौहार पर पति का चेहरा देखकर उनका मन वैसे ही रोमांचित हो उठता है जैसे 52 साल पहले हो उठता था।
दयालबाग निवासी डी डी बंसल की पत्नी श्रीमती कमला देवी ने बताया कि हर करवा चौथ पर घर की छत साफ़ सुथरी की जाती है। 20 जून 1970 को उनकी शादी हुई थी। उस समय पति द्वारा भेंट की गयी सोने की बालियां और शादी की साड़ी आज भी उनके पास सुरक्षित हैं और वे हर करवा चौथ पर इसे पहनती हैं।