Mental illness

Mental illnessताजमहल के अतिरिक्त आगरा का मानसिक स्वास्थ्य संस्थान देश / विदेश में मशहूर है। इस संस्थान में दूर दूर से मानसिक रोगी इलाज कराने पधारते हैं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के सूत्रों के अनुसार कोरोना महामारी ने ज्यादातर जनता की मानसिक सेहत बिगाड़ दी है।

कोरोना महामारी के 18 महीने में आगरा में 5% मानसिक रोगी बढ़ गए हैं। इनमें से 1.5% तो अभी भी मानसिक रोग से परेशान दिखते हैं। इनकी स्थिति यह है कि कोरोना वायरस सुनते ही पूरे शरीर में कम्पन होने लगता है और घबराहट महसूस होने लगती है।

मानसिक स्वास्थ्य संस्थान से चीफ डॉ0 दिनेश राठौर का कहना था कि WHO के अनुसार भारत में 7% आबादी मानसिक विकार से पीड़ित है। इनमें से 3% को भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। कोरोना महामारी के दौर में मानसिक रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी। कोरोना काल में शुरुआत में तो ोपड में लगभग 100-150 मरीजों ने परामर्श लिया और इलाज भी कराया लेकिन अप्रैल – मई मैं कोरोना से माता – पिता या फिर अन्य परिवारीजनों की मौत से लोगों की दिमागी स्थिति ज्यादा बिगड़ गई। तनाव – अवसाद के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई, जिनमें अधिकतर 30 वर्ष की उम्र तक के युवा हैं।

जब भी ऐसे मरीज कोरोना वायरस का नाम सुनते हैं तो उनकी धड़कन आज भी तेज हो जाती है। ऐसे मरीजों की काउन्सलिंग की जा रही है। इनको लगभग 6 माह तक नियमित इलाज की जरुरत है।

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ0 एस के कालरा का कहना था कि मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी को डॉक्टर से बिलकुल छिपाना नहीं चाहिए। व्यक्ति के विकास के लिए मानसिक स्वास्थ्य का अच्छा होना बहुत जरूरी है। आजकल देखा जाता है कि शारीरिक स्वास्थ्य की खुलकर चर्चा की जाती है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को छिपाया जाता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।

विख्यात मनोचिकित्सक डॉ0 के सी गुरनानी ने बताया कि कोरोना महामारी के समय लोग नौकरी छूट जाने, आधा वेतन हो जाने, लॉक डाउन में उधारी न मिलने, व्यापार न चलने या पुनः संक्रमण बढ़ने, फिर से लॉक डाउन की आशंका से तनाव और अवसाद के शिकार हुए। इनमें युवा और उद्यमियों की संख्या 60% तक रही। कोरोना से संक्रमित होने पर अपनों की मौत देखने वाले लोग अभी तक कोरोना फोबिया के शिकार हैं। TV पर समाचार देखने और समाचार पत्र तक पढ़ने से बचते हैं।

डॉ0 गुरनानी ने बताया कि अगर हाथ – पैरों में कम्पन – घबराहट, दम घुटना जैसा महसूस हो, या लगातार उदासी छाई रहे और अकेले में रहने का मन करे तथा  गुमसुम होकर रोने लगना, काम में रूचि न होना, जीवन को बेकार कहना तथा जीवन से निराश होना व् नींद न आना, यह भी मानसिक बीमारी के लक्षण हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए दोस्तों से अपनी समस्याएं बांटें, बागवानी, पेंटिंग, गायन, लेखन सहित इन शौकों को पूरा करें। कम से कम आधा घंटा योग करें तथ रात को सोने व सुबह जागने का समय निश्चित करें। कार्यस्थल पर खुशनुमा माहौल बनाये रखें और लगातार काम करते समय थोड़ी थोड़ी देर बाद 5 – 10 मिनट का रेस्ट भी करते रहे। इन उपायों से मन और तन तथा दिमाग स्वस्थ रहेगा।

S Qureshi