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Talibanकेवल भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व के मुसलामानों की निगाह अफ़ग़ानिस्तान की हर गतिविधि पर लगी दिखाई दे रही है। भारतीय मुसलमान TV के सभी कार्यक्रम छोड़ कर केवल अफ़ग़ानिस्तान के समाचार सुनने में लगे दिखाई दे रहे हैं। लेकिन तालिबान की हरकतों को देखते हुए हर मुसलमान आश्चर्यचकित दिखाई दे रहा है।

इस संदर्भ में सामजिक कार्यकर्ता आमिर का कहना है की जो हरकतें तालिबान अफ़ग़ानिस्तान में करते हुए दिखाई दे रहे हैं, उन्हें इस्लाम मज़हब कतई इजाजत नहीं देता। जुमे की नमाज के बाद लगभग हर मस्जिद में तालिबान की हरकतों की मुसलमान कड़े शब्दों में निंदा कर रहे हैं।

वैसे अभी तक यह पूरी तरह से साफ़ नहीं हुआ है कि अफ़ग़ानिस्तान में अगली सरकार के स्वरुप को लेकर कोई सहमति बन पायेगी या नहीं, और अगर बनी भी तो कब तक। आमिर का यह कहना उचित लगा कि तालिबान के विभिन्न धड़ों में मतभेद इतने गहरे हो गए हैं कि वे हिंसक संघर्ष के रूप में प्रकट होने लगे हैं। इसी संघर्ष में मुल्ला अब्दुल गनी भी बुरी तरह जख्मी हो गया है। बताया जाता है कि उसका इलाज पकिस्तान में चल रहा है।

talibanवैसे अब ISI चीफ फैज हमीद भी विगत दिवस काबुल पहुँच गया है और कोई बीच का रास्ता निकालने में दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि इस बीच कुछ तालिबान नवयुवकों ने पंजशीर घाटी पर अपना कब्जा भी पेश कर दिया है। हालांकि नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने इन दावों को गलत भी बताया है, और लड़ाई जारी रखने की बात की है।

जो विडिओ तालिबान ने जारी किया है उस से तो लगता है कि पंजशीर के कई प्रमुख ठिकानों पर तालिबान का ही कब्जा है। अगर वास्तव में कब्ज़ा है तो आमिर का यह कहना सच लगता है कि इसके पूछे पकिस्तान का ही हाथ हो सकता है, क्योंकि नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट की रिपोर्ट के मुताबिद तालिबान की वेशभूषा में पाक वायु सेना के ही जवान हैं। तालिबान के साथ पाकिस्तान की सांठ गाँठ इस कदर उजागर हो चुकी है कि अब उस के खंडन का कोई ख़ास मतलब नहीं रह गया है।

इसी सन्दर्भ में हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा का कहना था कि हक्कानी नेटवर्क ने साफ़ कर दिया है कि अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर बनाने का प्रस्ताव उसे मान्य नहीं है। अन्य समूहों की अपनी अलग प्राथमिकताएं हैं। उनमें से कौन कौन स्वेच्छा से अपनी प्राथमिकताओं को छोड़ने के लिए राजी होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

शर्मा ने कहा कि आमतौर पर अगर मतभेदों को बन्दूक के सहारे सुलझाने की आदत हो जाती है तो शांतिपूर्ण बातचीत के रस्ते किसी हल तक पहुंचना लगभग नामुमकिन हो जाता है। वैसे अफ़ग़ानिस्तान में होम करते हुए हाथ जलाने वालों की कमी नहीं है। अब देखना यह होगा कि अमरीका की ताजा मिसाल के बाद भी अफ़ग़ानिस्तान के आतंरिक मामले में हाथ डालने वाले पाकिस्तान की आगे क्या गति होती है।

सामजिक कार्यकर्ता समीर का कहना था कि इस्लाम पूरी तरह शान्ति का हामी है। तालिबान हो या पाकिस्तान, वे जो हरकतें कर रहे हैं, वह इस्लाम धर्म को धोखा दे रहे हैं।

S Qureshi