केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी आंदोलन से हर भारतवासी अब परिचित हो चुका है। जहां अधिकतर लोगों की सोच है की सरकार को किसानों की जायज मांगें मान लेनी चाहिए, वहीँ केंद्र सरकार अपनी जिद पर अडी हुई है।
इस पूरे प्रकरण पर आगरा के एक प्रमुख भाजपा नेता का कहना था कि अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी को जल्दी ही प्रदेश के किसानों के हित में कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे वरना किसान नेताओं के पार्टी छोड़ कर दूसरे पाले में जाने से चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान भुगतना पड़ सकता है।
शायद इसी सोच को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने निश्चय किया है कि किसानों की पहली निजी मंडी आगरा में खोली जाये जिसका संचालन 600 किसानों का एक समूह करे जिससे आगरा और समीपवर्ती जिलों के किसान देश और दुनिया में अपना कारोबार बढ़ा सकें।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आगरा – ग्वालियर मार्ग पर नगला वोरई गांव में दिव्य भूमि एग्रिक्रॉप प्रोड्यूसर कंपनी ने 4610 वर्ग मीटर के फार्महाउस में इस निजी मंडी को बनाने का प्रस्ताव दिया है। अगर यह मंडी तैयार हो गयी तो यह उत्तर प्रदेश का पहला FPO होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि कृषि उत्पादन मंडी नियमावली में व्यवस्था है कि कोई भी व्यक्ति अथवा कृषक उत्पादक संगठन आदि, तय प्रक्रिया का पालन करते हुए मंडी उपस्थल स्थापित कर क्षेत्रीय किसानों के उत्पाद की खरीद और बिक्री कर सकता है, जिसके लिए पूर्व में निजी मंडी स्थापित करने के लिए पांच लाख रुपये की प्रतिभूति जमा करनी होती थी।
पिछले वर्ष अपर मुख्य सचिव कृषि डॉ0 दिनेश चतुर्वेदी के समक्ष यह मुद्दा उठाया गया था, तो उन्होंने नियमावली में बदलाव कर प्रतिभूति के प्रावधान को हटवा दिया था जिससे किसानों को 5 लाख रुपये जमा करने से राहत मिल गई थी। इसके बाद पिछले वर्ष ही मंडी के प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए कृषि विभाग को भेजा गया था।
सूत्रों के अनुसार इस FPO ने यह जमीन आसपास के किसानों से पट्टे पर ली है। इस मंडी में किसानों से अपनी उपज बेचने का कोई शुल्क नहीं वसूला जाएगा, बल्कि यहाँ व्यापारियों से FPO एक प्रतिशत मंडी शुल्क वसूलेगा जिसमें 25 प्रतिशत हिस्स्सा FPO को जाएगा और 25 प्रतिशत हिस्सा समिति को जायेगा।
मंडी सचिव एस0 के0 राघव का कहना था कि प्रदेश में FPO द्वारा विकसित यह पहली निजी मंडी होगी जो तय प्रक्रिया का पालन करेगी। इसको अधिसूचना तीन वर्ष के लिए मान्य होगी और आगे भी नवीनीकृत की जा सकती है।
दिव्य भूमि एग्रीक्रॉप प्रोड्यूसर के मृणाल अग्रवाल ने बताया कि मंडी की मंजूरी किसानों के सपने के साकार होने जैसा है। यह मंडी आगरा – ग्वालियर हाईवे पर ऐसे स्थान पर होगी जहाँ आगरा – ग्वालियर के साथ सीमावर्ती राजस्थान और मध्यप्रदेश के लगभग 30 किमी क्षेत्र में फैले 40 गांवों के किसानों को खरीद / बिक्री का अवसर मिल सकेगा। होटल, ढाबों, प्रोसेसिंग यूनिट आदि को मंडी से सीधे आपूर्ति की योजना पर कार्य किया जा रहा है। फुटकर दुकानदारों को भी रजिस्ट्रेशन के बाद सीधे आपूर्ति होगी। आपात कालीन स्थिति में उनका FPO फार्म-टू-होम की तर्ज पर सब्जियों की आपूर्ति भी कर सकेगा।
इस सन्दर्भ में बात किये जाने पर शमशाबाद, अछनेरा, किरावली, पिनाहट, फतेहाबाद आदि क्षेत्रों के गांवों के अनेक किसानों का कहना था कि यह निजी मंडी एक तरह से सरकार का किसानों के साथ एक छलावा है। लेकिन किसान सरकार के इस मकड़जाल में फंसने वाले नहीं हैं। देश / प्रदेश के किसान भाइयों की केवल एक ही मांग है कि केंद्र सरकार ने जो तीन कृषि कानून बनाये हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाये। किसान वर्ग इसके अलावा और कुछ नहीं चाहता।
राष्ट्रीय किसान यूनियन से जुड़े कागारौल क्षेत्र के किसान चौ0 भगवान सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में निकट भविष्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। देश / प्रदेश की सरकार किसानों को प्रलोभन देना छह रही है जिससे किसानों के वोट भाजपा को ही मिलें। लेकिन किसान सरकार के प्रलोभन में कतई नहीं आने वाले हैं। देश के किसानों की केवल एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानून ख़त्म किये जाएँ वरना किसान न उत्तर प्रदेश में दुबारा भाजपा सरकार बनने देंगे, और न ही किसी अन्य प्रदेश अथवा केंद्र में।
हालांकि प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है कि नए कृषि कानूनों की बदौलत आम किसानों को निकट भविष्य में मंडी से उनकी उपज की प्रतिस्पर्धात्मक कीमत मिलेगी, तथा भाड़ा व समय भी बचेगा। इसके अलावा FPO के सदस्य किसानों को न सिर्फ अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि FPO के लाभांश में भी हिस्सेदारी होगी। इस कृषि अधिकारी का कहना था कि मंडी में पोस्ट हार्वेस्ट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था होगी जिससे किसानों का उत्पाद की बिक्री में देरी पर नुकसान कम होगा।