भाजपा बसपा सुप्रीमो मायावती के मुकाबले उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल आगरा निवासी बेबीरानी मौर्या को चुनावी प्रचार में मैदान में उतार सकती है। भारतीय जनता पार्टी किसी भी स्थिति में उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार को खोना नहीं चाहती और पूरी कोशिश में लगी है कि 2022 में भी उत्तर प्रदेश में भाजपा की ही सरकार का गठन हो।
वर्तमान में भाजपा का चुनावी मुकाबला बसपा और सपा से हो सकता है। दलित वर्ग अभी भी मायावती को ही चाहता है। ब्राह्मणों को बसपा के पक्ष में करने के लिए बसपा के सतीश मिश्रा को कई माह पहले से ही चुनावी प्रचार के मैदान में उतार रखा है। मायावती को मात देने के लिए आगरा निवासी दलित वर्ग की महिला एव उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल बेबीरानी को उतारने का मन भाजपा पूरी तरह बना चुकी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के पास महिला वर्ग में कोई मजबूत दलित चेहरा नहीं था, शायद इसलिए भाजपा की निगाह बेबीरानी मौर्या पर टिक गई है। यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही बेबीरानी मौर्या को एमएलसी भी बनाया जा सके जिससे दलित वर्ग में यह सन्देश पहुंच सके कि भाजपा कभी दलित वर्ग की उपेक्षा नहीं करती है।
सूत्रों ने बताया है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बेबीरानी के बीच लगभग एक घंटे तक वार्ता हो चुकी है, जिसमें बेबीरानी मौर्य को विधान सभा के चुनावी प्रचार की पूरी रणनीति भी समझाई जा चुकी है।
बेबीरानी मौर्य बीसपी सुप्रीमो मायावती को मात देने में कितनी कामयाब होंगी, यह आने वाला वक़्त ही बताएगा लेकिन आम जनता का मानना है कि भाजपा ने यह कार्ड अच्छा चला है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा विधान सभा चुनाव से पूर्व यूपी में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। शायद इसीलिए बेबीरानी सहित अन्य सदस्यों के नाम एमएलसी के लिए निश्चित भी कर लिए हैं। चुनावी रणनीति की फाइल बना कर प्रधान मंत्री मोदी को भी अंतिम निर्णय हेतु भेजी गई है। सीनियर नेता ने बताया कि इसी क्रम में योगी मंत्रीमंडल विस्तार पर भी सर्व सम्मति बन गई है। यह भी कहा जा रहा है पीएम मोदी के अमरीका से वापिस आने के बाद मंत्रीमंडल विस्तार किसी की तारीख़ को हो सकता है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और बेबी रानी मौर्य के साथ लखनऊ मुख्यालय में आगामी योजना भी बन गई है। उसमें यह भी निश्चय किया गया है कि अक्टूबर – नवंबर में बेबी रानी को उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में एक – एक बड़ी आम सभा होगी। इसमें सभी जिलों के दलित जातियों के लोगों को जुटाने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद डिसेम्बर से लेकर चुनाव तक हर जिले में बेबी रानी की सभाएं भी होंगी। इन सभाओं के लिए भाजपा ने प्रदेश के महामंत्री प्रियंका रावत को समन्वयक बनाया है।
भाजपा की इस सक्रियता को देखते हुए बसपा और सापा भी मैदान में उतर आई हैं। उसी को ही दृष्टिगत रखते हुए सपा चीफ अखिलेश यादव आगरा सहित उन सभी जिलों के उन घरों में पहुँच रहे हैं जहाँ कोरोना महामारी के कारण सपा सदस्यों एवं कार्यकर्ताओं के घर के सदस्यों की मौत हुई हैं। लेकिन अखिलेश के इस कदम से सपा के वोट बैंक में कितना इजाफा होगा, यह नहीं कहा जा सकता।
आगरा दलित वर्ग की राजधानी कहलाता है। वर्तमान में भी दलित वर्ग के जिलों में बहनजी (मायावती) की चाहत नजर आती है लेकिन दलित वर्ग के नवयुवकों में आजाद पार्टी के चीफ चंद्रशेखर रावण सेंधमारी करते दिखाई दे रहे हैं। इसका उदाहरण उस समय दिखाई दिया जब चंद्रशेखर आजाद रावण ने आगरा में ‘साइकिल रैली’ निकाली। उस रैली में दलित वर्ग के और मुस्लिम वर्ग के नवयुवकों की संख्या अधिक दिखाई दी थी। उसको देख कर लगता है कि चंद्रशेखर आजाद रावण दलित वर्ग के वोट थोड़ी संख्या में काट सकते हैं। जो भी दलित वोट कटेगा, उससे बसपा को ही मुकसान हो सकता है।
वैसे कांग्रेस पार्टी की प्रियंका गाँधी भी कांग्रेस के लिए कड़ी मेहनत करती हुई दिखाई दे रही हैं। वह पुराने कांग्रेसियों को पुनः पार्टी में जोड़ रही हैं। 7 अक्टूबर को आगरा में होने वाली प्रियंका की रैली फिलहाल स्थगित हो गई है लेकिन प्रियंका की सक्रियता पूरी तरह बरकरार है।