आगरा का केंद्रीय हिंदी संस्थान देश का ऐसा संस्थान है जिस ने विदेशी छात्र – छात्राओं को हिंदी का ज्ञान दिला कर विश्व पटल पर एक अहम् मुकाम बनाया हुआ है।
शायद यह भारत का पहला ऐसा संस्थान है जहाँ विदेश छात्र आकर अपने देश जैसा अनुभव और प्रेम प्राप्त करते हैं। जब इस संस्थान से हिंदी सीखकर अपने वातां वापस जाते हैं तो मधुर कंठ से इस संस्थान की प्रशंसा करते हैं। इसी कारण ज्यादातर विदेशी छात्र / छात्राएं यहाँ आकर हिंदी सीखने के लिए लालायित रहते हैं।
वर्तमान में आगरा के केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी पढ़ने के लिए चयनित 100 विदेशी छात्र / छात्राओं में से 52 ने सहमति दी है, जबकि बाकी छात्रों की सहमति नहीं आने से प्रवेश की प्रक्रिया में देरी हो रही है।
संस्थान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दूतावासों से प्राप्त आवेदन के आधार पर 31 देशों के छात्रों का चयन प्रवेश के लिए किया गया था, जिनमें से 25 देशों के छात्रों ने सहमति दे दी है। इनमें सर्वाधिक अफ़ग़ानिस्तान के छात्र / छात्राएं हैं जिनकी संख्या 15 है। यहाँ के 30 छात्रों का चयन किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी शिक्षण के विभागाध्यक्ष डॉ0 जोगेंद्र सिंह मीणा का कहना है कि चयनित सभी छात्रों को दो बार ईमेल भेजकर सहमति लेने का प्रयास भी किया गया है लेकिन ईमेल का भी कोई उत्तर नहीं मिला है। केवल 52 छात्रों की सहमति मिल पाई है।
सामजिक कार्यकर्ता विजय उपाध्याय ने बताया कि विदेशी छात्र / छात्राएं संस्थान में आकर पढाई करने के लिए काफी इच्छुक रहते हैं। लेकिन इस प्रतीक्षा सूची में रखे गए 20 छात्रों को ईमेल भेजकर सहमति मांगने की नौबत आ गयी है। यह वर्तमान में आश्चर्यजनक स्थिति है।
वैसे इस संस्थान में अधिक दिनों तक प्रवेश की प्रक्रिया को लटकाया नहीं जा सकता। बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह सहमति देने वाले छात्रों का ओरिएंटेशन कराने की तैयारी की जा रही है।
हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा का यह कहना उचित लगा कि केंद्रीय हिंदी संस्थान में पढ़ने वाले विदेशी छात्र / छात्राओं को हर तरह की सुविधाएँ मुहैया कराई जाती है। जिस से वह यह अनुभव न करें कि हमसे विदेशी के रूप में व्यवहार किया जा रहा है।
इस संस्थान में हिंदी सीखने वाले छात्र / छात्राएं जब आगरा के बाजारों में घुमते हुए दिखाई देते हैं, तब आगरा के घूमते हुए दिखाई देते हैं तो आगरा का हर बंदा उनका उनका आदर पूर्वक स्वागत करता हुआ दिखाई देता है। शर्मा ने बताया कि दुःख उस समय होता है जब कभी कभी इस संस्थान के विदेशी छात्र शराब पीकर बाजार में उन्माद करते नजर आते हैं। छात्र विदेशी हो या भारतीय, अपनी मर्यादा को कभी पार न करें।