Taliban

Siraj Qureshiप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मन की बात” सुनने के लिए प्रत्येक रविवार को लोग उत्सुक रहते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री अपने मन की बात में देश और हर इंसान के उत्थान और उज्ज्वल भविष्य की बात करते हैं। लेकिन इस रविवार को प्रसारित हुए मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री की अफ़ग़ानिस्तान पर चुप्पी काफी लोगों को खल गई और वे सवाल करते नजर आए कि आखिर प्रधानमंत्री अफ़ग़ानिस्तान पर क्यों खामोश हैं?

जब इन लोगों से पूछा गया कि आखिर वे चाहते क्या हैं, तो उनका एक स्वर में जवाब था कि अफ़ग़ानिस्तान में क्या हो रहा है ये सर्व विदित है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वहाँ के घटनाक्रम का कम से कम उल्लेख तो करना ही चाहिए था, लेकिन वे इस विषय में कुछ बोले ही नहीं। प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया इस देश की आधिकारिक प्रतिक्रिया होती है और अगर प्रधानमंत्री खामोश है तो देशवासियों की प्रतिक्रिया के कोई मायने नहीं रह जाते।

मेरा मानना है कि यह अच्छी बात है कि हमारे विदेश मंत्रालय ने सभी प्रमुख पार्टियों के नेताओं को अफ़ग़ानिस्तान के बारे में जानकारी दी है और यह भी बताया कि भारत ने काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया है जबकि दुनिया भर के सभी प्रमुख देशों के दूतावास अभी भी काबुल में कार्य कर रहे हैं।

परंतु एक सवाल मन में कौंधता है कि हमारे दूतावास को बंद करने का क्या कारण है। क्या भारत को ऐसी कोई गुप्त सूचना मिली थी कि तालिबान भारत के दूतावास पर हमला कर सकता है? अगर ऐसा था तो क्या दूतावास की सुरक्षा और नहीं बधाई जा सकती थी? जब पिछले कुछ दिनों में एक भी भारतीय नागरिक को तालिबान द्वारा हानि नहीं पहुंचाई गई है तो वे भारतीय दूतावास को क्यों हानि पहुंचाते? साफ है कि अफ़ग़ानिस्तान की वर्तमान स्थिति के बारे में भारत सरकार का आकलन ठीक नहीं निकला।

जहाँ तक भारतीय नागरिकों की वापसी का सवाल है, तो चाहे देर से ही सही, लेकिन सरकार ने दुरुस्त ही किया। भारतीय वायुसेना ने नागरिकों को वापस लाने में प्रशंसायोग्य भूमिका निभाई लेकिन दूतावास से राजनयिकों को हटाने के बारे में विदेश मंत्रालय संसदीय नेताओं को संतुष्ट कैसी कर पाया? क्या संसदीय दल के नेता भी इसके पक्ष में थे? इसके अलावा एक बड़ा सवाल यह है कि काबुल में सरकार बनाने की जो कवायद पिछले कुछ दिन से चल रही है, उसमें भारत की भूमिका क्या रहेगी, क्योंकि भारत का एक भी राजनयिक इस समय काबुल में नहीं है।

अगर यह मान भी लिया जाए कि अगर भारत सरकार तालिबान से कोई तालुक नहीं रखना चाहती, तो पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और डॉ० अब्दुल्ला तो भारत के मित्र हैं, उनकी मदद तो भारत सरकार को करनी ही चाहिए। कुछ न करके हम अफ़ग़ानिस्तान को पाकिस्तान और चीन के हवाले होने दे रहे हैं और भारत का अफ़ग़ानिस्तान में किया हुआ अरबों रुपये का निवेश मिट्टी होने दे रहे हैं। हमारी सरकार की भूमिका वर्तमान में काबुल में पाकिस्तान से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो सकती थी क्योंकि तालिबान खुद चाहते हैं कि एक मिली-जुली सरकार बने। इसके अलावा तालिबान ने आज तक एक भी भारत-विरोधी बयान नहीं दिया है। उन्होंने कश्मीर को भारत का अंदरूनी मामला बताया है और अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण में भारत के योगदान की तारीफ भी की है।

देखा जाए तो तालिबान मजबूरी में पाकिस्तान का लिहाज करते हैं, वरना पठानों से ज्यादा आजाद और स्वाभिमानी लोग और कौन हैं? भारत ने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करते हुए भी काबुल में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप का मौका  गंवा दिया। विदेशमंत्री एस जयशंकर को इसके दूरगामी परिणामों के लिए तैयार रहना होगा  और जरा मुस्तैदी से काम करना होगा क्योंकि भाजपा के पास विदेश नीति को जानने- समझने वाले नेताओं का बड़ा टोटा दिखाई देता है।

हालांकि पिछले सात वर्षों के मोदी-राज का अनुभव यह भी बताता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई भी कदम जल्दी में नहीं उठाते और पूरी तरह स्थिति देखने के बाद ही कुछ बोलते हैं। जो लोग यह कहते हैं कि प्रधानमंत्री खामोश क्यों हैं, उनको यह जानना चाहिए कि प्रधानमंत्री की अफ़ग़ानिस्तान के घटनाक्रम पर गहरी निगाह है और वक्त आने पर अवश्य ही उनकी प्रतिक्रिया सामने आएगी।

डॉ सिराज क़ुरैशी
अध्यक्ष, हिंदुस्तानी बिरादरी संस्था
एवं भारत सरकार द्वारा कबीर पुरुस्कार से सम्मानित।
संपर्क: 9837078925, contactsqureshi@gmail.com


Note by the editor: The views, thoughts, and opinions expressed in this article belong solely to the author, and do not necessarily reflect the views of Agra24.in.

Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

By Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.