आगरा शहर मुफ़्ती (Agra Mufti) खुबेब रूमी के खिलाफ राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मुकदमा लिखे जाने के खिलाफ आगरा का मुस्लिम समुदाय लामबंद हुआ दिख रहा है। आज 19 अगस्त को शहर मुफ़्ती (Agra Mufti) के हजारों समर्थकों ने जुलूस निकाल कर इस्लामिया लोकल एजेंसी के अध्यक्ष असलम कुरेशी के खिलाफ नारेबाजी की और गिरफ़्तारी की मांग की।
शाही जामा मस्जिद से शुरू हुआ यह जुलूस पुलिस-प्रशासन की कड़ी निगरानी में कलेक्ट्रेट पर जाकर खत्म हुआ जहाँ जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नाम ज्ञापन देने के बाद जुलूस में शामिल मुस्लिमों ने कहा कि असलम कुरेशी ने मुफ़्ती रूमी की फोन पर कही बातों को तोड़ मरोड़कर पेश करते हुए उनके खिलाफ़ फ़र्ज़ी मुकदमा लिखवाया है, जिसे वापस लेते हुए असलम कुरेशी को मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के जुर्म में गिरफ़्तार किया जाना चाहिए।
आगरा के अधिकतर मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में मुफ़्ती पर मुकदमे के विरोध-स्वरूप दुकानें बंद रखते हुए मुस्लिमों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसको देखते हुए आगरा जिला प्रशासन ने पुलिस बल का कड़ा बंदोबस्त किया था। थाना मंटोला पर सुबह से ही भारी पुलिस बल एकत्रित हो गया था जो दंगा-निरोधी वेशभूषा में जुलूस के मार्ग में तैनात कर दिया गया था।
जुलूस में शामिल मुस्लिम नेताओं का कहना था कि असलम कुरेशी ने 15 अगस्त को सोची-समझी साजिश के तहत उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक़ सैफी को बुलाकर जामा मस्जिद के प्रांगण में झंडारोहण करवाया जिसका विरोध मुफ़्ती रूमी (Agra Mufti) ने सिर्फ़ यह कहकर किया कि मस्जिद के अंदर नमाज और धार्मिक कार्यक्रम के अलावा किसी भी प्रकार की गतिविधि शरीयत में प्रतिबंधित है, इसलिए मस्जिद में झंडारोहण इस्लाम की नजर में ‘हराम’ है। ऐसी कोई भी गतिविधि मस्जिद प्रांगण से बाहर की जानी चाहिए थी। मात्र शरीयत के नियमों का हवाला देने के कारण मुफ़्ती रूमी के खिलाफ मुकदमा लिखाया जाना गलत है और इसको वापस लिया जाना चाहिए।