उत्तर प्रदेश के एटा जिले के शिक्षाविद् डॉ० रामेश्वर दयाल उपाध्याय (Dr. Rameshwar Dayal Upadhyay) की आठवीं पुण्यतिथि पर हिन्दुस्तानी बिरादरी की एक विशेष बैठक में उनको श्रद्धासुमन अर्पित किए गए।
इस अवसर पर बोलते हुए बिरादरी अध्यक्ष डॉ० सिराज कुरेशी ने कहा कि वर्ष 1931 में एटा जिले में जन्मे डॉ० उपाध्याय ने आज़ादी के बाद से ही अशिक्षा का अभिशाप झेल रहे एटा क्षेत्र के लोगों में शिक्षा की ज्योति प्रज्जवलित करने का कार्य किया।
बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने कहा कि जिस समय डॉ० उपाध्याय (Dr. Rameshwar Dayal Upadhyay) ने एटा जिले में शिक्षा की ज्योति जलाने का प्रण लिया था, समय यह उत्तर प्रदेश की ऐसी पिछड़ी जगह थी जहाँ पर साक्षरता दूर-दूर तक नजर नहीं आती थी। डॉ. उपाध्याय ने क्षेत्र में शिक्षा के प्रसार-प्रचार के लिये कदम उठाये और लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक बनाने के लिये अपने गांव से शुरूआत की। उन्होंने गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों को साक्षर बनने के लिये प्रेरित करने का काम किया। सन् 1952 में उन्होंने एटा जिले के ही एक गांव के स्कूल में अध्यापन कार्य शुरू कर लोगों को शिक्षित करने की ठान ली।
सामाजिक कार्यकर्ता दीप शर्मा ने कहा कि स्व० डॉ० रामेश्वर दयाल उपाध्याय (Dr. Rameshwar Dayal Upadhyay) प्रगतिशील सोच के चिंतक और आदर्श शिक्षक थे। जीवन में कड़े अनुशासन के पक्षधर होने के साथ साथ वे शिक्षक संघ के नेता भी रहे। शिक्षक अधिकारों के संघर्ष में उन्होंने जेल यात्रा भी की थी ।
इस बीच डॉ० उपाध्याय के पैतृक गाँव धुआई स्थित उनकी समाधि पर भी उनकी पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम में श्रद्धा सुमन अर्पित किये गये।
समाधि स्थल पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में डॉ० उपाध्याय के पारिवारिक सदस्य उपस्थित रहे। सबसे पहले डॉ० उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला देवी उपाध्याय ने पुष्पमाला अर्पित की, तदुपरांत राजू उपाध्याय, नूतन उपाध्याय, विजय उपाध्याय, जवा उपाध्याय, पीहू उपाध्याय, वान्या उपाध्याय, शिवनन्दन यादव आदि अनेक लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की।