सम्पूर्ण विश्‍व आज एक जुट होकर ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ मना रहा है। इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस-2021 की थीम ‘योगा फॉर वेलनेस’ रखी गई है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि योग को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहम योगदान रहा है। योग का संदेश आज इस आधुनिक दुनिया में उनके प्रयासों से ही पहुंचा है। यही कारण है कि आज लोग योग से तेजी से जुड़ रहे हैं। अब पूरी दुनिया में योग के लिए अलग-अलग स्तर पर कार्य हो रहे है। ऐसे में इसे ‘योग से सहयोग तक’ की संज्ञा देना गलत नहीं होगा।

कोरोना के महासंकट में योग कितना जरूरी ?

यह बेहद जरूरी है कि हम सभी कोरोना के इस महासंकट के बीच शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने पर जोर दें और पूर्णतया सफल हो सकें। जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो स्‍वत: ही यहां आत्‍मविश्‍वास उभर कर सामने आता है। जिसका यह विश्वास जितना दृढ़ है वह जीवन में उतना ही सफल भी है। लाख कठिनाईयां उसे कमजोर नहीं कर पाती और अंत में जो भी निर्णय आए, वह उसी के पक्ष में आता है। जी हां, योग के क्षेत्र में एक ऐसा ही नाम सामने आया है, जिन्‍हें अनेक अवसरों पर योग को लेकर तिरस्कार मिला, अपमानित किया गया, डराया, धमकाया गया, यहां तक कि धर्म का हवाला भी दिया जाता रहा, लेकिन वे हर मुश्किल को मुस्कुराते हुए सहती रहीं और आखिरकार वो दिन भी आया जब उनके देश के राजा ने उनकी प्रशंसा में पुल बांधे।

‘योग’ एक जीवन चर्या

इस महान शख्सियत के लिए राजा के इन शुभकामना भरे शब्दों के साथ अब सारा अपमान कहीं पीछे छूट गया था। सामने दिख रहा था तो उनका सतत एक दिशा में बढ़ते रहने का उनका कर्म, जो लोगों की प्रेरणा बन चुका था। उसके बाद उनके अपने हमवतन लोगों ने भी माना कि ‘योग’किसी धर्म का हिस्सा नहीं बल्कि यह एक जीवन चर्या है, जोकि हमें स्वस्थ रहने का मार्ग बताता है। निरोगी काया के लिए ‘योग’ को अपनाने से किसी की इबादत में कोई फर्क नहीं पड़ता, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग ही सुगम होता है। बात यहां हम सऊदी अरब की कर रहे हैं। जहां पर सनातन हिन्दू धर्म या अन्‍य धर्म के मानने वाले नहीं बल्कि इस्लाम को धर्म के रूप में स्वीकार्य करने वाले लोग हैं।

सऊदी अरब में ‘योग’को ऐसे मिली मान्‍यता

अरब में पहले ‘योग’ को सिर्फ हिंदू धर्म का हिस्सा माना जाता था। ‘योग’ करना गैर इस्लामिक था, लेकिन जब सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने योग को खेल के रूप में मान्यता दी तब से यह इस देश में यह काफी लोकप्रिय हो रहा है। खुशी की इसमें बात यह है कि ‘योग’का ध्वज लेकर जो सबसे पहले आगे बढ़ा वह कोई पुरुष नहीं, एक महिला है। दरअसल, जिस देश में कभी शरिया कानूनों के नाम पर औरतों के अधिकारों को दबाया जाता था, उनकी आजादी छीनी जाती थी, आज उसी देश में औरतों की आवाज बुलंद हो रही है। लगभग 20 साल की लड़ाई के बाद “नौफ अल मारवाही” यहां पहली योग शिक्षिका घोषित होने में सफल ही नहीं रहीं बल्कि आज के समय में पूरे अरब में यह एक आशा की किरण बनकर उभरी हैं।

इस्लामिक देश में योग को दिलाई प्रतिष्ठा

 

कहना होगा कि अरब में ‘योग’ को प्रतिष्ठापित व मान्यता दिलाने का पूरा-पूरा श्रेय नौफ मारवाई को जाता है। वह सऊदी अरब में “अरब योग फाउंडेशन” की संस्थापक हैं। उन्‍होंने ही यहां योग को कानूनी बनाने और सऊदी अरब में आधिकारिक मान्यता दिलाने में योगदान दिया है। इसलिए उन्हें भारत ने वर्ष 2018 में अपने चौथे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित भी किया।

सूर्य नमस्कार पर थी सबसे अधिक लोगों को आपत्‍त‍ि

मारवाई अपने अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि पहले उन्हें बहुत परेशान किया गया। मौलवियों को सबसे अधिक आपत्‍त‍ि सूर्य नमस्कार पर थी, लेकिन लगातार प्रयासों के बाद अब यहां के लोगों का नजरिया बदलने लगा है। लोग समझने लगे हैं कि ‘योग’ जीवन को स्वस्थ रखने का एक माध्‍यम है। इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।

योग’ कैंसर जैसे रोग से बचाने में मददगार

नौफ का कहना है कि ‘योग’ ने उन्हें कैंसर से बचने में मदद की है। अल्लाह की मैं बहुत आभारी हूं कि उसने मुझे ‘योग’ का रास्ता बताया। मैं एक ऑटो-इम्यून बीमारी के साथ जन्मी जरूर थी, लेकिन योग और आयुर्वेद के माध्यम से इस चुनौती पर विजय प्राप्त करने में सफल रही हूं। वे अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि उन्हें लगभग बीस वर्षों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके साथ उनका परिवार साथ देने के लिए खड़ा हुआ था, इसलिए वे योग के रास्ते पर सतत आगे बढ़ती रहीं।

योग के अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित होते ही बदली परिस्थितियां

वे कहती हैं कि उन्होंने सबसे पहले वर्ष 2004 में ‘योग’ के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की थी, तब कोई भी योग से वाकिफ नहीं था। लोगों के बीच यह नया विषय था, फिर 2006 में योग को कानूनी रूप से मान्यता दिए जाने के लिए प्रयास किया गया, लेकिन उन्हें कोई भी सफलता नहीं मिल पाई थी बल्कि सऊदी में जब महिलाओं के खेलों और योग को लेकर कुछ स्वतंत्रता दी गई तब बहुत कठिनाई आने लगी थी, किंतु 11 दिसंबर 2014 को 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से ‘योग के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में 21 जून को मंजूरी दे दी तब स्‍थ‍ितियां बदले लगीं। उस दिन हमने जेद्दाह में आधिकारिक रूप से सार्वजनिक तौर पर पहला ‘योग’ उत्सव मनाया। इसके बाद हर साल हमें योग को प्रचारित करने का मौका मिल गया।

‘योग’ मन और शरीर दोनों से करता है मजबूत

उन्होंने कहा कि फरवरी 2017 में राजकुमारी रीमा बंत बंदार अल सऊद से मुलाकात के बाद से बहुत कुछ तेजी से बदलता हुआ दिखा देने लगा। मुझे अपने देश में सभी को योग के स्वास्थ्य लाभ के बारे में बताना था। मैं ऑटो इम्यून डिजीज के साथ पैदा हुई थी और बहुत कुछ सहा था। मैं एक सामान्य जीवन शैली जीने में असमर्थ थी। एक बार किसी ने मुझे योग के बारे में बताया और फिर मैंने इसके बारे में पढ़ना शुरू किया। जितना अधिक मैंने इसके बारे में जाना मेरी रुचि और अधिक बढ़ती गई।

आयुर्वेद और योग से कठिन बीमारी पर भी पाई जा सकती है विजय

वे कहती हैं कि ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं भारत चली आई, अब तक मेरी बीमारी ने किडनी पर असर करना शुरू कर दिया था। ऐसे में भारत आकर मैं सबसे पहले केरल गई जहां आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों से मिलकर अपना इलाज शुरू किया। उसके बाद मैंने देखा शरीर में बहुत तेजी के साथ सुधार हो रहा है, चिकित्सा में योग करना भी एक भाग था। यहां से मैं योग के साथ और बहुत गहरे से जुड़ गई। उसके बाद भारत में कई स्‍थानों पर जाकर योग के बारे में जानने का प्रयास किया। इस विषय में जितना अध्ययन किया, उतना ही अधिक ज्ञान बढ़ा।

इस्‍लामिक देशों में आज योग एक सफल उद्योग

 

मारवाई बताती हैं, कि योग को मान्यता मिलने के कुछ महीने के भीतर ही मक्का, मदीना सहित देश के कई शहरों में योगा स्टूडियो और योग प्रशिक्षकों का एक नया उद्योग खड़ा हो गया है। सऊदी अरब के माध्यम से योग का अभ्यास किया जा रहा है। मक्का, रियाद मदीना और जेद्दा जैसे शहरों में योग केंद्र और योग शिक्षक हैं। सऊदी अरब में योग की मांग है क्योंकि लोग जानते हैं कि योग आपको स्वस्थ बनाता है। इसने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर मदद मिलती है।

नर्वस सिस्‍टम और मानसिक संतुलन को बनाए रखने का बल देता है ‘योग’

नौफा मारवाई का इस कोरोना महामारी के वक्त में कहना है कि हम सभी जानते हैं कि इस वक्त पूरा विश्‍व कोरोना संकट में जी रहा है, ऐसे वक्त में हमारे सामने नर्वस सिस्‍टम एवं मानसिक संतुलन को बनाए रखना बहुत जरूरी है। हमारे मस्तिष्क में खुश रहने वाले हार्मोन बनते हैं। ऐसे हार्मोन बनाने में योग बहुत कारगर है। वे कहती हैं कि यदि हम प्रतिदिन योग को अपने जीवन में शामिल कर लें तो हमारी क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर हो जाती है।

आपको बता दें कि आज यदि सऊदी अरब में योग के शिक्षण और अभ्यास को जो मंजूरी मिली है उसका पूरा श्रेय सऊदी अरब और खाड़ी में योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए समर्पित योगचारिणी नौफा मारवाई को जाता है, जिसके बाद कहना होगा कि वे सच्चे अर्थों में महर्षि पतंजलि की योग कन्‍या हैं।

Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

By Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.