women in science

women in scienceकहते हैं कि सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती है। जाहिर है जब सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती है तो उन्हें पूरा करने की कोई उम्र क्या ही होगी। इसी फलसफे को देश की सैकड़ों महिलाएं अपने जीवन में साकार कर रही हैं। महिलायें, जिनके लिए इतनी सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियां होती हैं कि उन्हें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है। परिणामस्वरूप, उन्हें अपने सपनों की आहुति देनी पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। परिस्थितियां बदल रही हैं।

विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्रालय कर रहा है मदद

भारत सरकार का विज्ञान और प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने अधूरे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी ली है, जिसके तहत उसने सैकड़ों महिलाओं को दोबारा से अपने सपनों को पूरा करने में मदद की है। ऐसी 100 महिला वैज्ञानिकों के सफर की दास्तान एक किताब के रूप में दी गई है, जिन्होंने बीच में ही अपना करियर छोड़ दिया था और उसके बाद फिर से उन्होंने विज्ञान की तरफ वापसी की है। जिन महिला वैज्ञानिकों का हवाला दिया गया है, उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक कारणों से विज्ञान में अपना करियर छोड़ना पड़ा था। इस किताब में उनके सफर को दिखाया गया है कि कैसे उन लोगों ने तमाम बाधाओं के बावजूद दोबारा काम शुरू किया। ये महिलायें उन सभी भारतीय महिलाओं के लिये मिसाल हैं, जिन्हें इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है।

महिला वैज्ञानिक योजना के तहत कर रहे हैं सहायता

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का नॉलेज इंवॉल्वमेंट इन रिसर्च एडवांसमेंट थ्रू नर्चरिंग प्रभाग, बीच में अपना करियर छोड़ देने वाली महिला वैज्ञानिकों का सहयोग कर रहा है। विभाग, महिला वैज्ञानिक योजना (डब्‍ल्‍यूओएस) के जरिये इन महिलाओं को विज्ञान की तरफ लौटने में सहायता करता है। डब्‍ल्‍यूओएस के विभिन्न घटकों के माध्यम से डीएसटी बीच में करियर छोड़ देने वाली और फिर मुख्यधारा के विज्ञान की तरफ लौटने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की समस्याओं का समाधान करता है। इस पुस्तिका में उन चुनिंदा महिलाओं की दास्तान लिखी गई है, जिन्होंने इस योजना डब्‍ल्‍यूओएस-सी के तहत प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और अब वे अपने करियर की नई ऊंचाईयां छूने के लिये तत्पर हैं।

किताब डिजिटल और प्रिन्ट दोनों में है उपलब्ध

पुस्तिका में 100 महिला वैज्ञानिक योजना प्रशिक्षुओं के बारे में बताया गया है। इसमें इन महिलाओं की जिंदगी की दास्तान है कि कैसे उन लोगों ने जीवन की तमाम बाधाओं को पार करने में कामयाबी हासिल की। पुस्तिका डिजिटल और प्रिंट, दोनों तरह से उपलब्ध है। डीएसटी के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा का कहना है, “मैं जानता हूं कि योजना से लाभान्वित होने वाली कामयाबी की और भी कई दास्तानें हैं, जिन्हें आने वाले वक्त में पेश किया जायेगा।”

महिला वैज्ञानिकों का सफर दिखाने के अलावा, किताब में उनकी शैक्षिक योग्यता, विशेषज्ञता, मौजूदा रोजगार की स्थिति, अनुभव और बौद्धिक सम्पदा अधिकार में तकनीकी योग्यता के बारे में सूचना उपलब्ध है, जिसे इन महिला वैज्ञानिकों ने प्रशिक्षण पूरा करने के बाद हासिल किया है।

इस योजना को मिल चुका है राष्ट्रपति से पुरस्कार

आपको बता दें, डब्‍ल्‍यूओएस-सी, विभाग की प्रमुख योजना है और उसे 2015 में नारी शक्ति पुरस्कार (रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार) भी मिल चुका है। यह पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति ने प्रदान किया था। डब्‍ल्‍यूओएस-सी को प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद (टाइफैक) क्रियांन्वित करता है। यह डीएसटी के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्था है। कार्यक्रम के तहत विज्ञान/इंजीनियरिंग/औषधि या बौद्धिक सम्पदा अधिकार से जुड़े क्षेत्रों और उनके प्रबंधन में योग्यता रखने वाली महिलाओं को एक साल का प्रशिक्षण दिया जाता है। जो भी महिलायें 27 से 45 वर्ष के बीच की हैं, वे इस योजना का लाभ ले सकती हैं। महिलाओं को पेटेंट फाइलिंग की बारीकियों, पेटेंट की अवहेलना होने पर कानूनी कार्रवाई करने और पेटेंट सम्बंधी अन्य कामों का प्रशिक्षण दिया जाता है।

800 से अधिक महिलाओं को मिला प्रशिक्षण

योजना में मिले प्रशिक्षण के आधार पर ऐसी महिलाओं का समूह विकसित करने में सफलता मिली है, जो भारत में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रबंध, उसकी सुरक्षा और रचना के लिये तैयार हैं। लगभग 800 महिलाओं को 11 बैचों में प्रशिक्षण दिया गया और लगभग 270 महिलाओं को पेटेंट एजेंट के रूप में पंजीकृत किया गया। कई महिलाओं ने खुद अपनी आईपी फर्म शुरू कर दी और कुछ उद्यमी बन गईं। योजना ने महिलाओं को तकनीकी रूप से सक्षम और वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाया है। कई ऐसी प्रौढ़ महिलायें भी हैं, जो पहले घर पर बैठी रहती थीं, लेकिन अब वे आईपी प्रोफेशनल बन गई हैं।

Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

By Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.