जून माह की शुरुआत से चले आ रहे आगरा के श्री पारस हॉस्पिटल मौक ड्रिल (Mock Drill) प्रकरण का आखिरकार शुक्रवार देर शाम को पटाक्षेप हो ही गया।
जैसी सोशल मीडिया पर जनता द्वारा आशंका जताई जा रही थी, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गयी जांच रिपोर्ट में पारस हॉस्पिटल प्रशासन को क्लीन चिट दे दी गयी। जांच में यह तो पाया गया कि 26 – 27 अप्रैल को प्रशासन और श्री पारस हॉस्पिटल के पिछले दावों के विपरीत कहीं अधिक, 16 मौतें तो हुईं, परंतु ऐसी किसी Mock Drill का सबूत नहीं मिला जिसमें ऑक्सिजन बंद किए जाने के कारण 22 मरीजों की जान गयी हो।
ऑक्सिजन की कथित तौर पर कमी दिखाने पर जांच कमेटी ने हॉस्पिटल व उसके संचालक अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी अधिनियम 1897 के तहत कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा की गई है।
गौरतलब है कि जून माह की शुरुआत में एक वाइरल वीडियो के जरिये यह तथाकथित भ्रांति फैलाने की कोशिश की गई कि श्री पारस हॉस्पिटल के संचालक डॉ0 अरिंजय जैन ने 26-27 अप्रैल की रात को ऑक्सिजन बंद करके Mock Drill किए जाने के निर्देश दिये, जिसमें 22 मरीजों की दम घुटने से मौत हो गयी, और उन मौतों को दबा दिया गया।
इसके बाद हॉस्पिटल को महामारी एक्ट के अंतर्गत सील कर दिया गया और हॉस्पिटल संचालक डॉ0 अरिंजय जाएँ के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस प्रकरण पर जनता के भारी दबाव के बाद जांच बैठाई गई, जिसमें बनाई गई डॉ0 त्रिलोक चंद पीपल, प्रोफेसर/विभागाध्यक्ष एनस्थेसिया विभाग, एस0एन0 मेडिकल कॉलेज की अध्यक्षता में बनी ‘Death Audit Committee’ द्वारा पाया गया कि उपरोक्त हॉस्पिटल में 26-27 अप्रैल को 16 मरीजों की मौत तो हुई थी लेकिन Mock Drill के कारण नहीं, बल्कि कोरोना और पुरानी बीमारियों के अधिक बिगड़ जाने के कारण। इन मरीजों में से कई वेंटिलेटर पर थे और कुछ 12-13 दिन से अस्पताल में भर्ती थे।
जांच में यह भी पाया गया कि अस्पताल के पास ऑक्सिजन की कोई कमी नहीं थी, और जहां 25 अप्रैल को अस्पताल के पास 149 ऑक्सिजन सिलेन्डर प्रयोग में और 20 रिजर्व में थे, वहीं 26 अप्रैल को भी वहाँ 121 सिलेन्डर उपयोग में लाये जा रहे थे और 15 रिजर्व में थे। सिलेन्डर की यह संख्या उस समय भर्ती मरीजों की संख्या को देखते हुए पर्याप्त मानी गई। जांच कमेटी ने यह भी पाया कि कई मरीजों के तीमारदार अपने सिलेंडरों के साथ भी अस्पताल पहुँच गए थे और अस्पताल में ऑक्सिजन की कोई कमी नहीं थी।
जांच समिति ने रिपोर्ट में बताया है कि “चूंकि प्रबंधन द्वारा मरीजों को ऑक्सिजन की कमी का गवाला देते हुए डिस्चार्ज किए जाने का प्रकरण संगयान में आया, जब महामारी अपने चरम स्तर पर थी, अस्पताल प्रबंधन द्वारा इस प्रकार की बातें कर भ्रम पैदा करने का आरोप सिद्ध होता है। यह महामारी अधिनियम 1897 के उल्लंघन की श्रेणी में आता है, जिसमें मु0अ0सं0 180/21 अंतर्गत धारा 52/54 महामारी अधिनियम / आई0पी0सी0 की धारा 118/505 में पंजीकृत किया गया है, जिसकी पुलिस अग्रिम विवेचना कर आवश्यक कार्यवाही करे।“
समिति ने आगे कहा है कि “मुख्य चिकित्साधिकारी आगरा द्वारा हसरी पारस हॉस्पिटल के लाइसेन्स को निलंबित कर सील किया जा चुका है। उक्त के क्रम में जो भी जवाब प्रबंधन द्वारा आता है, उसमें नियमानुसार कार्यवाही मुख्य चिकित्साधिकारी, आगरा के स्तर से की जाएगी।“
जांच समिति के आगे प्रस्तुत हुए हॉस्पिटल संचालक डॉ0 अरिंजय जैन ने कहा कि वायरल विडियो में उनके द्वारा कही जा रही बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। उन्होने स्वीकार किया कि अस्पताल में Mock Drill तो हुई थी, लेकिन किसी मरीज की मौत नहीं हुई।
उधर जांच रिपोर्ट के जारी होते ही आगरा के सोशल मीडिया पर जांच में लीपापोती करके हॉस्पिटल संचालक डॉ0 अरिंजय जैन को बचा लिए जाने के आरोप सामने आने लगे हैं। आईएमए के सदस्य अभी इस प्रकरण में कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं, लेकिन जनता के स्वर श्री पारस हॉस्पिटल के खिलाफ और मुखर हो गए हैं। कई लोग इस ओर इशारा कर रहे हैं कि जांच में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है और डॉक्टर अरिंजय जैन को सभी आरोपों से बचाते हुए कम से कम ‘पेनल्टी’ लगाई गई है।