Kashmir

Kashmirअपने ऐतिहासिक निर्णय में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ग्राम स्वराज का एक नया मॉडल प्रस्तुत किया है। तीन ‘एफ’ का यह मॉडल फंड्स ,फंक्शन और फंक्शनरीज से भारत की सबसे प्राचीन संस्था पंचायत और लोकल बॉडी को मजबूत करने की कोशिश की गयी है। जम्मू-कश्मीर में तरक्की को रफ्तार देने और तमाम स्टेकहोल्डर्स की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उप-राज्यपाल ने रिकॉर्ड 12,600 करोड़ रुपए के जिला कैपेक्स बजट की मंजूरी दी है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्रीनगर में उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया।

त्रिस्तरीय पंचायती राज योजनाओं के आधार पर तैयार पहला बजट

पिछले 50 वर्षों में त्रिस्तरीय पंचायती राज योजनाओं के आधार पर तैयार यह पहला बजट है। बीते वित्त वर्ष की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा पूंजी व्यय इस साल स्वीकृत किया गया है। पिछले बजट में 5,134 करोड़ रुपए की विकास योजना मंजूर की गई थी। आर्टिकल 370 और 35A को निरस्त किए जाने के बाद ही जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज अधिनियम लागू हो पाए थे। जाहिर है पहली बार जम्मू-कश्मीर की पंचायतों को 73 एवं 74 संविधान संशोधन के अनुरूप अधिकार भी मिले थे। यानी ग्राम सभा को पहली बार पिछले साल जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक मान्यता मिली थी, जिसके पास अब लोकल एरिया के डेवलपमेंट के फण्ड भी हैं और अधिकार भी।
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सरहद पार की साजिशों के कारण देश का यह पहाड़ी इलाका मुख्यधारा से काफी पिछड़ गया था। लेकिन पिछले वर्षों में जम्मू कश्मीर ने अपने वर्षों पुराने आर्थिक और राजनीतिक समस्या का हल पंचायती राज में ढूंढने की कोशिश की है। ग्राम स्वराज की अवधारणा को जमीन पर उतारकर यह केंद्र शासित प्रदेश ने पीपुल्स गवर्नेंस की एक नयी इबारत लिखी है। 70 वर्षों के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज निजाम शत प्रतिशत लागू हुआ है। पंचायतों और लोकल बॉडी को अधिकार मिलने के बाद यह पहला मौका है, जब केंद्र के तमाम फ्लैगशिप स्कीम 100 फीसदी यहाँ पंचायतों एयर बीडीसी ने जमीन पर उतरा है।

”बैक टू विलेज प्रोग्राम” के तहत गांव की मुश्किलें हो रही दूर

कल्पना कीजिए जिस पहाड़ी इलाके में लोगों को अपनी समस्या बताने के लिए दो से तीन दिन का सफर तय कर राजधानी श्रीनगर या जम्मू आना पड़ता था। आज तमाम आला अफसर ”बैक टू विलेज प्रोग्राम” के तहत गांव जाकर लोगों की समस्या सुनते हैं और उसका निदान करते हैं। ग्रेविएन्स रेड्रेसल का ऐसा पुख्ता इंतजाम भारत के किसी राज्य में शायद ही मिले। आज कोविड वैक्सीनेशन के मामले में भी जम्मू कश्मीर सबसे आगे है तो इसका श्रेय भी पंचायतों को जाता है।

नई पंचायती व्यवस्था में बढ़ी सामाजिक भागीदारी

और यह चमत्कार उसी पुराने सिस्टम और नौकरशाह को लेकर हुआ है। आज तीन स्तरीय पंचायती राज ने बीडीसी और डीडीसी के साथ अपने अपने इलाके और जिले की जिम्मेदारी संभाल ली है। नई पंचायती व्यवस्था में बढ़ी सामाजिक भागीदारी ने न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है, बल्कि पिछले साल 100 से ज्यादा पहाड़ी गांव में हर घर बिजली पहुंचाई है। पिछले 70 वर्षों में इन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में लोगों ने अब तक बिजली की रौशनी नहीं देखी थी, लेकिन केंद्र की सौभाग्य स्कीम ने उनके सपने को सच कर दिया है।

जम्मू-कश्मीर में विकास योजनाओं का खाका पंचायत

यह पहला मौका है जब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विकास योजनाओं का खाका पंचायत, ब्लॉक विकास और जिला विकास परिषद की अनुशंसा से तैयार किया गया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बजट को जनभागीदारी का कैपेक्स बजट कहा है। यह पैसा रोजगार के अवसर बढ़ाने, बेहतर सड़क नेटवर्क, स्वच्छ पेयजल व बिजली आपूर्ति में सुधार लाने के अलावा पर्यटन को बढ़ावा देकर व युवाओं को सशक्त बनाने के लिए खर्च किया जाएगा।

गांव को आत्मनिर्भर बनाने में पंचायती राज का काम

यानि गांव को आत्मनिर्भर बनाने स्थानीय संसाधनों में पूंजी निवेश करके उसे रोजगार के लायक बनाने का काम भी पंचायती राज का ही काम है। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के हर अंग को वित्तीय अधिकार दिए गए हैं। गांव के विकास का नक्शा और उसकी मंजूरी अब ग्राम सभा तय करती है उसमे नौकरशाही की दखल नहीं होती है।

जम्मू-कश्मीर का है ऐतिहासिक विकास बजट

त्री-स्तर की योजनाओं को पंचायत स्तर पर ग्राम सभा में मंजूरी लेकर बीडीसी और डीडीसी स्तर से इसका अप्रूवल मिलता है। कह सकते हैं कि यह ऐतिहासिक विकास बजट है, जिसके लिए जिला विकास परिषद ब्लाक विकास, सरपंच, पंच और प्रशासन के अधिकार मिलाकर एक नया जम्मू-कश्मीर का खाका खींचा है, जो जनभागीदारी वाली डेमोक्रेसी के लिए है।

Vishal Sharma
Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.

By Vishal Sharma

Vishal is a technology enthusiast with journalistic leanings. He was one of the first bloggers in India, coming online in 1994, even before the internet was available on a widespread basis in India. Vishal is a cybersecurity consultant working as an independent contractor for Google. A journalist with a career spanning over 20 years, he has worked for several national English dailies including The Pioneer, Indian Express, Business Standard, and more. He has also worked for Indo-American Times, and India Monthly magazine, based in the United States of America. Besides being on the editorial board of Vijayupadhyay.com, he also publishes Indian Talent Magazine, an internationally acclaimed talent promotion publication. He has extensive experience in corporate branding, online publishing, and advertising. He started Vikirna Mediatek in 2018 with a vision to bring affordable technology solutions to the common masses of an India which is fast becoming Digital, walking on the path that was heralded by the late Prime Minister of India Rajiv Gandhi and forwarded by the current Prime Minister Narendra Modi.